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भारतीय बाजार में SUV कारों का बोल-बाला, बिकने वाली कुल कारों में 43 फीसदी हिस्सेदारी; पढ़ें रिपोर्ट

वर्ष 2018 में देश में जितनी कारें बेची जाती थी उसमें 10 लाख से ज्यादा कीमत वाली कारों की हिस्सेदारी 16 फीसद थी जो वर्ष 2022 में बढ़ कर 37 फीसद हो चुकी है। हुंडई तो 41 फीसद कारें 10 लाख रुपये से ज्यादा वाली बेच रही है।

By Atul YadavEdited By: Published: Sun, 03 Jul 2022 08:32 PM (IST)Updated: Mon, 04 Jul 2022 06:00 AM (IST)
भारतीय बाजार में SUV कारों का बोल-बाला, बिकने वाली कुल कारों में 43 फीसदी हिस्सेदारी; पढ़ें रिपोर्ट
युवाओं की पहली पसंद है एसयूवी कार, बिक्री बढ़ी

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। कभी भारतीय आटोमोबाइल बाजार को छोटी कारों का बाजार कहा जाता था, लेकिन अब इसे सही मायने में एसयूवी यानी स्पो‌र्ट्स यूटिलिटी व्हिकल (एसयूवी) का बाजार कहा जाना चाहिए। देश में बेची जाने वाली कुल कारों में एसयूवी की हिस्सेदारी बढ़ कर 43 फीसद हो गई है और दिसंबर, 2022 के अंत तक यह हिस्सेदारी बढ़ कर 50-55 फीसद हो जाने की उम्मीद है।

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वर्ष 2019 में यह हिस्सेदारी सिर्फ 26 फीसद की थी। हाल के हफ्तों में बाजार में 70 फीसद हिस्सेदारी रखने वाली दिग्गज कंपनी मारुति और हुंडई की नई एसयूवी लांच हो चुकी है और दूसरी कार कंपनियों की तरफ से त्योहारी सीजन से पहले आधी दर्जन एसयूवी और लांच करने की तैयारी है।

कार बाजार के जानकार बताते हैं कि बाजार में युवा ग्राहकों की बढ़ती संख्या और तकनीक व डिजाइन का बढ़ता महत्व दो ऐसी वजहें हैं, जो एसयूवी आकर्षण को बढ़ा रही हैं। हुंडई के निदेशक (सेल्स व मार्केटिंग) तरूण गर्ग का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में कार ग्राहकों की पसंद काफी बदल चुकी है। अब ग्राहक को सिर्फ सस्ती कार के नाम पर आप कुछ भी नहीं बेच सकते।

भारतीय ग्राहक अब कारों के लिए ज्यादा खर्च करने को तैयार है। उदाहरण के लिए वर्ष 2018 में देश में जितनी कारें बेची जाती थी उसमें 10 लाख से ज्यादा कीमत वाली कारों की हिस्सेदारी 16 फीसद थी जो वर्ष 2022 में बढ़ कर 37 फीसद हो चुकी है। हुंडई तो 41 फीसद कारें 10 लाख रुपये से ज्यादा वाली बेच रही है।

ज्यादा एसयूवी बिकने का एक वजह यह भी है कि बाजार में कम उम्र के ग्राहकों की संख्या भी बढ़ी है। वर्ष 2022 में कार खरीदने वाले कुल ग्राहकों में 41 फीसद की उम्र 35 वर्ष से कम है। यह संख्या वर्ष 2018 में 30 फीसद थी। बाजार में 35 फीसद कारे हैचबैक बिक रही हैं, लेकिन इनकी संख्या तेजी से घटेगी। कार कंपनियों की तरफ से पिछले दो वर्ष के दौरान लांच की गई कारों को भी देखें तो साफ होता है कि किसी ने भी छोटी कारें लांच नहीं की हैं।

मारुति सुजुकी ने अंतिम छोटी कार एस-प्रेसो वर्ष 2019 में लांच की थी। इस वर्ष कंपनी अपनी पुरानी अल्टो मॉडल को नए सिरे से लांच करने वाली है लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि कंपनी की योजना चार एसयूवी भी लांच करने की है। हाल ही में इसने अपनी मशहूर एसयूवी मॉडल ब्रेजा को नये सिरे से बाजार में पेश किया है। हुंडई की बात करें तो वर्ष 2026 तक छह नए मॉडल लांच करने की योजना है लेकिन उसमें एक भी छोटी कार नहीं है। कंपनी की मशहूर सैंट्रो मॉडल (नया वर्जन) के उत्पादन पर पहले ही ब्रेक लग चुका है।

टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा की कुल बिक्री में एसयूवी की हिस्सेदारी 60 फीसद पार कर चुकी है, ऐसे में इनमें भी छोटी कारों को लेकर कोई खास उत्साह नहीं है। घरेलू कार बाजार में तेजी से पैठ बनाने वाली किआ इंडिया भी पूरी तरह से एसयूवी केंद्रित है।


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