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Motor Insurance: वाहन का इंश्योरेंस कराने के लिए अब जरूरी होगा यह सर्टिफिकेट, IRDA ने जारी किया आदेश

नए आदेशनुसार वाहन का इंश्योरेंस कराते समय मालिक के पास पीयूसी सर्टिफिकेट का होना अनिवार्य है जिसे मालिक को अन्य कागजात के साथ इंश्योरेंस कंपनी को देना होगा।

By Sajan ChauhanEdited By: Published: Sun, 23 Aug 2020 12:26 PM (IST)Updated: Sun, 23 Aug 2020 12:26 PM (IST)
Motor Insurance: वाहन का इंश्योरेंस कराने के लिए अब जरूरी होगा यह सर्टिफिकेट, IRDA ने जारी किया आदेश

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। PUC certificate is now Mandatory for Vehicle Insurance: भारत में वाहनों के इंश्योरेस को लेकर एक नया आदेश जारी किया गया है। जिसके तहत अगर आपके पास आपके वाहन का प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं है, तो आप इंश्योरेंस नहीं करा सकते हैं। बता दें, बीमा नियामक Insurance Regulatory and Development Authority यानी इरडा ने एक आदेश जारी करते हुए कहा है कि अगर किसी भी वाहन का प्रदूषण सर्टिफिकेट नहीं है, तो इस दशा में वाहन का इंश्योरेंस नहीं होगा। जिसका दिल्ली-एनसीआर में खासतौर पर ध्‍यान दिया जाएगा।

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नए आदेशनुसार वाहन का इंश्योरेंस कराते समय मालिक के पास पीयूसी सर्टिफिकेट का होना अनिवार्य है, जिसे मालिक को अन्य कागजात के साथ इंश्योरेंस कंपनी को देना होगा। बता दें, पीयुसी सर्टिफिकेट वह है जो वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण नियंत्रण मानकों के बारे में बताता है। वहीं देश में सभी प्रकार के मोटर वाहनों के लिए प्रदूषण मानक स्तर तय किए जाते हैं।

यानी अगर कोई वाहन सफलतापूर्वक पीयूसी जांच में सफल हो जाता है तो वाहन मालिक को एक प्रमाण पत्र यानी सर्टिफिकेट दिया जाता है। जिससे आपको पता चलता है कि आपके वाहन का प्रदूषण स्तर कितना है। सरकारी नियमों के मुताबिक सभी वाहनों का वैध पीयूसी सर्टिफिकेट होना आवश्यक है। ऐसा ना होने की दशा में मालिक को चालान का भुगतान करना पड़ता है।

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह दूसरी बार है जब IRDAI ने जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के सभी CEO और CMD को एक पत्र भेजा है। इससे पहले भी जुलाई 2018 को ऐसा ही संदेश भेजा गया था। हालांकि इस नए संदेश में खासतौर पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली-NCR को चिन्हित किया गया है। जानकारी के लिए बताते चलें मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम 2019 के तहत PUC मानदंडों का उल्लंघन करने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। हालांकि, यह अभी कुछ ही राज्यों में लागू है।  


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