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CNG की गाडियों के लिए अब आ गया है नए तरीके का फ्यूल, माइलेज में होगा इजाफा और प्रदुषण में आएगी कमी

बता दें H-CNG ईंधन को बनाने के लिए हाइड्रोजन और सीएनजी को मिश्रित किया जाता है। जहां एक तरफ सीएनजी आसानी से उपलब्ध ईंधन है वहीं इसके प्रयोग के लिए हाइड्रोजन का उत्‍पादन किया जाता है। हालांकि हाइड्रोजन के उत्‍पादन में लागत सीएनजी की तुलना में कहीं ज्‍यादा आती है।

By Sajan ChauhanEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 02:07 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 02:07 PM (IST)
गाड़ियों में ईंधन भरते हुए कर्मी की तस्वीर. (फोटो क्रेडिट: जागरण)

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारत में पेट्रोल की लगातार बढ़ती कीमत के चलते सीएनजी वाहनों की खासी लोकप्रियता है। लगभग प्रत्येक वाहन निर्माता कंपनी सीएनजी मॉडल्स को पेश करती है। फिलहाल, अगर आपके पास सीएनजी गाड़ी है, या आप खरीदने का मन बना रहे हैं, तो बता दें, सरकार देश में प्रदुषण कम करने के लिए कई तरह के ईंधन विकल्प पर काम कर रही है। जिसमें हाइड्रोजन मिक्स सीएनजी (Hydrogen Mix CNG) भी शामिल है।

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प्रदुषण के स्तर में काफी हद तक आएगी कमी: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में इससे संबंधित नए नियमों को नोटिफाई कर दिया है। देखा जाए तो, पेट्रोल और डीजल वाहनों की तुलना में सीएनजी वाहन से काफी कम प्रदूषण फैलता है, लेकिन हाइड्रोजन मिक्स सीएनजी से प्रदुषण की मात्रा को काफी निचले स्तर पर लाया जा सकता है। केंद्र सरकार ने इस नए ईंधन का नाम एच-सीएनजी यानी (Hydrogen Mix CNG) रखा है। इस एच-सीएनजी ईंधन में 18 प्रतिशत हाइड्रोजन और 82 फीसदी सीएनजी गैस का मिश्रण होगा।

कैसे बनती है एच सीएनजी: बता दें, H-CNG ईंधन को बनाने के लिए हाइड्रोजन और सीएनजी को मिश्रित किया जाता है। जहां एक तरफ सीएनजी आसानी से उपलब्ध ईंधन है, वहीं इसके प्रयोग के लिए हाइड्रोजन का उत्‍पादन किया जाता है। हालांकि, हाइड्रोजन के उत्‍पादन में लागत सीएनजी की तुलना में कहीं ज्‍यादा आती है। हाइड्रोजन का उत्‍पादन इलेक्‍ट्रोलाइसिस के माध्यम से भी किया जाता है। जिसमें पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग किया जाता है। इस प्रक्रिया से जो हाइड्रोजन प्राप्‍त होती है उसे सीएनजी के साथ मिलाकर वाहनों के लिए ईंधन तैयार किया जाता है।

H-CNG के फायदे : सीएनजी वाहनों में इसके प्रयोग से कई फायदे हैं। ​बता दें, इससे न केवल वाहनों की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि सीएनजी के मुकाबले प्रदूषण भी कम होगा। इसके अलावा वाहनों में नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्‍सर्जन में 50 फीसद तक कमी आएगी। वहीं वाहनों के माइलेज में भी तीन से चार प्रतिशत तक की बढ़त देखने को मिलेगी। 


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