BS-VI ईंधन का BS-IV गाड़ियों पर क्या होगा असर, पढ़ें एक्सपर्ट की राय
ऑटो एक्सपर्ट के मुताबिक फिलहाल दिल्ली के लिए ही लिए गए BS-VI ईंधन के फैसले से कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि कार कंपनियां सिर्फ दिल्ली के लिए नहीं पूरे देश के लिए गाड़ियां बनाती हैं
नई दिल्ली (अंकित दुबे)। केंद्र सरकार की ओर से लिए गए हालिया फैसले के मुताबिक 1 अप्रैल 2018 से दिल्ली में BS-VI ईंधन की बिक्री शुरू कर दी जाएगी। हालांकि, एनसीआर क्षेत्र गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद में यह ईंधन 1 अप्रैल 2019 से मिलना शुरु होगा। ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि BS-VI ईंधन आने के बाद BS-IV वाली गाड़ियों पर कितना असर होगा? हम इस रिपोर्ट में आपको इसी के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
BS-IV पर कितना असर डालेगा BS-VI ईंधन?
BS-VI ईंधन की तय समय से पहले एंट्री का फैसला कई बड़े सवाल खड़े करता है। इसमें से प्रमुख सवाल यह है कि BS-VI ईंधन BS-IV वाली गाड़ियों पर कितना असर डालेगा।
ऑटो एक्सपर्ट रंजॉय मुखर्जी ने बताया कि सरकार के इस फैसले से कोई बड़ा फायदा नहीं होगा क्योंकि कार कंपनियां सिर्फ दिल्ली के लिए ही गाड़ी नहीं बनाती, वह पूरे देश के लिए बनाती हैं। BS-VI वाहनों में अगर नॉर्मल फ्यूल डाला जाएगा तो गाड़ी खराब होने की संभावना है, वहीं BS-IV वाली गाड़ी में अगर BS-VI ईंधन डाला गया तो उनके भी इंजन पर प्रभाव पड़ेगा और वह भी खराब हो सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले का फायदा तब है जब यह ईंधन पूरे देश में लागू किया जाए। मान लीजिए अगर यह नियम सिर्फ दिल्ली के लिए ही सीमित रहा तो कई तरह की मुश्किलें आ सकती हैं। मसलन पंजाब या हरियाणा में फ्यूल भरवाने वाली गाड़ी अगर दिल्ली की सीमा को पार करती है तो फिर उसमें BS-VI फ्यूल डलवाना ही होगा और ऐसा करने पर इंजन के खराब होने की संभावना कई गुना बढ़ जाएगी।
क्या होगी प्रदूषण में सल्फर की मात्रा?
पेट्रोल वाहन अगर BS-IV से BS-VI में तब्दील होते हैं तो उत्सर्जन में इतना फर्क नहीं आएगा। वास्तव में अगर फर्क देखा जाए तो डीजल वाहनों में देखने को मिलेगा। मौजूदा डीजल ईंधन के मुकाबले BS-VI डीजल सल्फर की रेटिंग कम मात्रा में देता है। सबसे पहले जो डीलज पेट्रोल पंप पर उपलब्ध था, उस समय डीजल में 500 PPM (पार्ट्स पर मिलियन) की मात्रा में सल्फर होता था। अब मौजूदा समय में जो डीजल मिलता है उसमें 50 PPM की मात्रा में सल्फर होता है। लेकिन अब जो दिल्ली में BS-VI ईंधन (डीजल) मिलेगा उसमें 10PPM की मात्रा में सल्फर होगा, जो निश्चित रूप से पर्यावरण के लिए बहुत ही बेहतर है। हालांकि अगर इस ईंधन का लंबे समय तक BS-IV वाहनों में इस्तेमाल किया गया तो इंजन पर इसका असर पड़ सकता है।
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोकार्बन (HC), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), हाइड्रोकार्बन + नाइट्रोजन ऑक्साइड (HC+NOx), पार्टीकुलेट मैटर (PM)
ईंधन में सल्फर एक डीजल इंजन में इंजेक्टर के रासायनिक ल्युब्रिकेशन के साथ मदद करता है। डीजल इंजन अपने इंजेक्टर्स पर निर्भर होते हैं ताकि डीजल एक लिक्विड से धुंध में बदल सके और सिलेंडर में दहन हो सके। अगर डीजल में सल्फर पैटर्न की मात्रा कम होती है तो उत्सर्जन कम होता है। वहीं, अगर इसके पैटर्न में किसी तरह की कोई दिक्कत होती है तो गलत और आधा दहन होने के चलते उत्सर्जन अधिक मात्रा में होता है।
क्या होगा BS-VI गाड़ियों में BS-IV ईंधन का असर:
BS-VI गाड़ियों में इलेक्ट्रॉनिक्स और हार्डवेयर (इंजेक्टर्स) को इस तरह से अपडेट किया जाएगा कि वह BS-VI ईंधन पर आसानी से चल सके, इसके साथ ही इनके एग्जॉस्ट स्ट्रीम में अतिरिक्त कॉम्पोनेंट्स (डीजल पार्टीकुलेट फिल्टर और यूरिया इंजेक्शन) भी जोड़े जा सकते हैं। अगर भारी मात्रा के सल्फर वाले डीजल इंजन का इस्तेमाल मॉडर्न इंजन में करते हैं तो इंजन एग्जॉस्ट में लगा डीजल पार्टीकुलेट फिल्टर जाम हो जाएगा और इसे बार-बार रिप्लेस करना पड़ेगा। मलतब BS-VI वाहनों में BS-IV ईंधन का असर जल्द ही देखने को मिलता रहेगा। इसके अलावा कई और दिक्कतों से भी जूझना पड़ सकता है।
सरकार ने क्यों लिया इतना बड़ा फैसला?
पेट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक BS-VI ईंधन को तय समय से पहले (2 साल पहले) लाए जाने के पीछे की प्रमुख वजह राजधानी में तेजी से बढ़ता प्रदूषण और परेशान करता स्मॉग है। बीते तीन सालों के रिकॉर्ड के मुताबिक अक्टूबर-नवंबर महीने के दौरान राजधानी की हवा सांस लेने लायक नहीं रहती। हालांकि इस दिवाली पटाखों पर बैन के कारण बीते साल के मुकाबले स्थिति थोड़ी बेहतर रही, लेकिन नवंबर के पहले हफ्ते में लोगों को मास्क पहनने पर मजबूर होना पड़ा।