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बैटरी निर्माताओं को 4.6 बिलियन डॉलर की मदद दे सकती है सरकार, इलेक्ट्रिक वाहन बढ़ाने पर है जोर

NITI Aayog द्वारा तैयार एक प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर भारत में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल किया जाए तो साल भारत 2030 तक तेल आयात बिलों में 40 बिलियन डॉलर से ज्यादा की कटौती की जा सकती है।

By Sajan ChauhanEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 04:57 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 04:57 PM (IST)
बैटरी निर्माताओं को 4.6 बिलियन डॉलर की मदद दे सकती है सरकार, इलेक्ट्रिक वाहन बढ़ाने पर है जोर
बैटरी निर्माताओं को मदद की पेशकश कर सकती है सरकार (Photo Credit: Reuters)

नई दिल्ली, (रॉयटर्स)। भारत एडवांस बैटरी निर्माण सुविधाओं की स्थापना करने वाली कंपनियों को 4.6 बिलियन डॉलर की पेशकश करने की योजना बना रहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि भारत इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल बढ़ाकर पेट्रोल डीजल पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। इससे न सिर्फ प्रदूषण कम होगा बल्कि पेट्रोल डीजल की खरीद में कमी आएगी।

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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले एक संघीय थिंक टैंक NITI Aayog द्वारा तैयार एक प्रस्ताव में कहा गया है कि अगर भारत में बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहनों का इस्तेमाल किया जाए तो साल भारत 2030 तक तेल आयात बिलों में 40 बिलियन डॉलर से ज्यादा की कटौती की जा सकती है।

थिंक टैंक ने उन्नत बैटरी बनाने वाली कंपनियों के लिए 2030 तक $ 4.6 बिलियन के प्रोत्साहन की सिफारिश की है, जो अगले वित्तीय वर्ष में 9 बिलियन रुपये ( 122 मिलियन डॉलर) के नकद और बुनियादी ढांचे के प्रोत्साहन के साथ शुरू होगा। बाद में इसे बढ़ाया जाएगा।

प्रस्ताव में कहा गया है, "मौजूदा समय में, बैटरी ऊर्जा भंडारण उद्योग भारत में शुरुआती स्टेज में है, ऐसे में निवेशक उभरते हुए इस उद्योग में निवेश करने के लिए थोड़ा आशंकित हैं।"

दस्तावेज़ में कहा गया है कि भारत 2022 तक इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी सहित कुछ प्रकार की बैटरियों के लिए 5% की अपनी आयात कर दर को बनाए रखने की योजना बना रहा है, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 15% कर देगा।

 सरकार अगर बैटरी निर्माता कम्पनियों को इंसेंटिव देती है तो इससे इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ाने में मदद मिलेगी और देश में फ्यूल चालित वाहनों में कमी लाई जा सकेगी जिससे प्रदूषण भी कम होगा।


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