किआ और हुंडई कंपनियां आई जांच के घेरे में, हुई छापेमारी, जानें क्या है पूरा मामला
जर्मनी और लक्जमबर्ग में 140 अधिकारियों ने Hyundai और Kia के आठ परिसरों पर छापा मारा है। दोनों कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने अपनी डीजल गाड़ियों में ऐसे डिवाइस का इस्तेमाल किया है जिसका उपयोग वायु प्रदूषण के स्तर को छिपाने के लिए किया जाता है।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। वाहन निर्माता कंपनी हुंडई और किआ की मुसीबतें बढ़ने वाली हैं। फ्रैंकफर्ट स्टेट प्रॉसिक्यूटर ने कहा कि जर्मन अधिकारियों ने मंगलवार को हुंडई और किआ कंपनियों पर छापेमारी की है। उनपर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने 2.10 लाख से ज्यादा डीजल गाड़ियों में डिफिट उपकरणों का इस्तेमाल किया है, जिससे इनके कारों द्वारा निकले गए हानिकारक गैसों के स्तरों को छुपाया जा सकता है। इस छापेमारी के बाद दोनों कंपनियों की गाड़ियों में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
दो जगहों पर मारा गया छापा
जर्मनी और लक्जमबर्ग में 140 अधिकारियों ने आठ परिसरों पर छापा मारा है, दोनो कंपनियों ने यह पुष्टि की है कि हमारे कार्यालयों पर छापा मारा गया है और हम अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही इन डीजल इंजन के लिए सॉफ्टवेयर देने वाली कंपनी डेल्फी टेक्नोलॉजीज पर भी जांच की जा रही है।
2020 तक की कार हुई जांच में शामिल
2020 तक की 210,000 कारों को जांच में शामिल किया गया है। ये गाड़ियां ऐसे सॉफ्टवेयर से लैस थी जो बड़े पैमाने पर प्रदूषण को बढ़ावा देती हैं। गौर करने वाली बातहै कि जो लोग इन कारों को खरीदते थे उनको यह नहीं बताया जाता था कि वो यूरोपीय संघों द्वारा बनाए गए प्रदूषण के नियमों का पालन नहीं करते हैं। अब इस कार के जांच के बाद से ही और भी वाहन निर्माता कंपनियों में खलबली मच गई है।
शेयर हुआ डाउन
इस छापेमारी के बाद से दोनों दक्षिण कोरियाई वाहन निर्माताओं के शेयर 6 प्रतिशत से नीचे चली गई है। क्योंकि निवेशकों को डर है कि इससे जांच का विस्तार हो सकता है और उनको भारी नुकसान का सामना भी करना पड़ सकता है। हुंडई मोटर और किआ के शेयरों में क्रमशः 5 प्रतिशत और 4 प्रतिशत की गिरावट आई है।
आपको बता दें कि कार्यालय के एक बयान के अनुसार, हुंडई और किआ ने जिस इंजन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया, वह बॉश (ROBG.UL)और डेल्फी कंपनियों से आया है, जो आज बोर्गवॉर्नर ग्रुप (BWA.N)का ही है। इसके बाद अधिकारियों ने यूरोपीय संघ की एजेंसी यूरो जस्ट के द्वारा किए गए ऑपरेशन में जर्मनी और लक्जमबर्ग में आठ संपत्तियों पर व्यावसायिक परिसरों की तलाशी ली।
लेखक- आयुषी चतुर्वेदी