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Hero Electric के प्रति लोगों का बढ़ रहा विश्वास, जानें इलेक्ट्रिक स्कूटर ने कैसे बदली ग्रीन एंटरप्रेन्योर मयंक चतुर्वेदी की जिंदगी

Hero electric - zero emission स्कूटर है जो उनकी हर तरह की जरूरतों को पूरा करता है। यह न सिर्फ फ्यूल का पैसा बचाता है बल्कि प्रदूषण भी कम करता है। साथ ही इसकी रेंज काफी अच्छी है।

By Atul YadavEdited By: Published: Mon, 08 Aug 2022 07:52 PM (IST)Updated: Mon, 08 Aug 2022 07:52 PM (IST)
Hero Electric के प्रति लोगों का बढ़ रहा विश्वास, जानें इलेक्ट्रिक स्कूटर ने कैसे बदली ग्रीन एंटरप्रेन्योर मयंक चतुर्वेदी की जिंदगी
अर्बन फार्मिंग से आसपास के समुदायों को आर्थिक लाभ होता है

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। भारत में जनसंख्या लगातार तेजी से बढ़ रही है। वहीं बढ़ती जनसंख्या के साथ उपजाऊ जमीन भी कम होती जा रही है। ऐसे में अर्बन फार्मिंग एक संभावित समाधान बन रहा है। इसके लिए आपको ज्यादा स्पेस की जरूरत नहीं है। आप अपने छत के स्पेस का उपयोग करके ताजे फूड्स उगा सकते हैं, साथ ही उसे बाजार में डिलीवर भी कर सकते हैं। जैसे मयंक चतुर्वेदी करते हैं, जिनकी पहचान आज एक ग्रीन एंटरप्रेन्योर की है।

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जिंदगी तेजी से आगे बढ़ रही है और उधर परिवार के लिए क्वालिटी टाइम भी कम हो रहा है। साथ ही, प्रोफेशनल रूप से भी हमारे ऊपर काफी प्रभाव है। इन सभी चुनौतियों को देखते हुए मयंक काफी समय से एक हल ढूंढ रहे थे। खुशी की बात यह है कि अर्बन फार्मिंग के रूप में उनको इसका हल भी मिल गया। उनके अनुसार जो फार्मिंग शहर में की जाती है, उसे अर्बन फार्मिंग कहते हैं। बता दें कि अर्बन फार्मिंग से आसपास के समुदायों को आर्थिक लाभ होता है, साथ ही यह पर्यावरण के अनुकूल भी है।

जब मयंक बिजनेस में आए तो उन्हें साबित करना था कि बिना फॉसिल फ्यूल इस्तेमाल किये आवागमन को कैसे सुविधाजनक बनाए। फिर उन्होंने अपना भरोसा इलेक्ट्रिक व्हीकल पर दिखाया। उनके पास Hero electric - zero emission स्कूटर है, जो उनकी हर तरह की जरूरतों को पूरा करता है। यह न सिर्फ फ्यूल का पैसा बचाता है, बल्कि प्रदूषण भी कम करता है। साथ ही, इसकी रेंज काफी अच्छी है। इसमें बूट स्पेस इतना है कि मयंक इसमें जरूरत के छोटे-मोटे सामानों को आसानी से रख पाते हैं।

खास बात यह है कि मयंक को अपने प्रोडक्ट की जितनी भी डिलिवरी करनी होती है, वो अपने Hero Electric के सपोर्ट से ही करते हैं। साथ ही, इसके जरिए वह अपने बच्चों को स्कूल भी छोड़ते हैं। डिलीवरी के बाद वापिस आकर मयंक वापिस फार्मिंग में लग जाते हैं, बीज बोते हैं, फिर हार्वेस्टिंग करते हैं और पौधे को पानी देते हैं। उसके बाद स्कूटर को चार्ज पर लगा देते हैं, जिससे कि उनका यह ईवी अगले दिन के लिए तैयार हो जाता है।

प्रकृति से अधिक जुड़ाव रखने वाले लोग पर्यावरण और वन्य जीवन के प्रति सकारात्मक व्यवहार रखते हैं और यह चीज मयंक के व्यवहार में भी दिखती है। वह कहते हैं कि “यह दुनिया हमने पूर्वजों से विरासत में नहीं ली है, बल्कि ये हमने अपनी आने वाली पीढ़ियों से उधार ली है, जिम्मेदारी हमारी बनती है कि हम अपने बच्चों को प्रकृति से कनेक्ट करें।”


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