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ई-रिक्शा की कामयाबी और पर्यावरण की मार, इन 8 वजहों से 2019 होगा इलेक्ट्रिक वाहनों का साल

2018 में कई इलेक्ट्रिक वाहनों ने भारतीय बाजार में एंट्री मारी है

By Shridhar MishraEdited By: Published: Thu, 29 Nov 2018 01:40 PM (IST)Updated: Thu, 29 Nov 2018 01:40 PM (IST)
ई-रिक्शा की कामयाबी और पर्यावरण की मार, इन 8 वजहों से 2019 होगा इलेक्ट्रिक वाहनों का साल
ई-रिक्शा की कामयाबी और पर्यावरण की मार, इन 8 वजहों से 2019 होगा इलेक्ट्रिक वाहनों का साल

नई दिल्ली (श्रीधर मिश्रा)। 2018 में कई इलेक्ट्रिक वाहनों ने भारतीय बाजार में एंट्री मारी है। इनमें हाल में लॉन्च हुई Volvo XC90 भी शामिल है। हालांकि, यह Plug-in hybrid कार है। भारत में प्रदूषण की समस्या और बढ़ती इलेक्ट्रिक वाहन की तकनीक इसमें आने वाले समय का भविष्य बना रही है। ऐसे में हम आपको उन 8 बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी वजहों से साल 2019 हो सकता है इलेक्ट्रिक वाहनों का साल।

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महंगी कारों में भी बढ़ा इलेक्ट्रिक का क्रेज

हाल ही में Volvo Cars ने भारत में Plug-in hybrid कार को पेश किया है। यह कार पहले 40 किलोमीटर बिजली से चलेगी और फिर यह हाइब्रिड मोड में चली जाएगी। यानी की ये पेट्रोल इंजन का इस्तेमाल करने लगेगी, जिससे ग्राहकों को अच्छी माइलेज मिलेगी। कंपनी ने घोषणा किया है कि वो अगले तीन सालों में 4 Plug-in hybrid कार लॉन्च करेगी। हालांकि, कंपनी का कहना है कि आने वाले समय में महंगी गाड़ियों में Plug-in hybrid तकनीक की जगह प्योर इलेक्ट्रिक इंजन का इस्तेमाल होगा।

कॉमर्शियल व्हीकल में बढ़ा इस्तेमाल

हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा समय में भारत में करीब 15 लाख ई-रिक्शा चल रहे हैं, जो चीन में साल 2011 से अबतक बेची गईं इलेक्ट्रिक कारों की संख्या से ज्यादा हैं। ए.टी. कर्नी नाम की एक कंसल्टिंग फर्म की रिपोर्ट में बताया गया है कि हर महीने भारत में करीब 11,000 नए ई-रिक्शा सड़कों पर उतारे जा रहे हैं। माना जा रहा है कि आने वाले समय में यह आंकड़ा और भी तेजी से बढ़ सकता है।

सरकार का साथ

  • भारत में अभी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को चार्ज करने के लिए कुल 425 पॉइंट हैं। इन प्वाइंट्स को सरकार 2022 तक 2,800 करने वाली है।
  • केरल सरकार ने हाल ही में बताया है कि उसका लक्ष्य राज्य में 10 लाख इलेक्ट्रिक वाहन को साल 2022 तक सड़कों पर उतारना है।
  • महाराष्ट्र सरकार का अगले पांच सालों में 5 लाख इलेक्ट्रिक वाहन को सड़कों पर उतारने का लक्ष्य है।
  • उत्तराखंड सरकार का लक्ष्य राज्य को इलेक्ट्रिक वाहन मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने का है। इस परियोजना के लिए सरकार अलग से जमीन देगी, जिसपर अगले 15 सालों तक किसी भी तरह का दूसरा काम नहीं होगा।
  • उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पॉलिसी 2018 के तहत सरकार का लक्ष्य राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों का बनाना है। इसके लिए सरकार जरूरी सुविधाओं के साथ-साथ जमीन भी मुहैया कराएगी। इस परियोजना के लिए IIT कानपुर की भी मदद ली जाएगी। इलेक्ट्रिक वाहन पर सरकार 100 फीसद का रोड टैक्स माफ करेगी।
  • कर्नाटक भारत का पहला ऐसा राज्य है जहां एक निर्धारित इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी है। यहां दूसरे राज्यों के मुकाबले पहले ही इलेक्ट्रिक वाहन को भविष्य माना गया है।

इंफ्रास्ट्रक्चर

इलेक्ट्रिक वाहनों में सबसे बड़ी चुनौती इसके इंफ्रास्ट्रक्चर की है। हालांकि, 2-व्हीलर कंपनियों की तरफ से दिया जा रहा साधारण चार्जिंग प्लग ग्राहकों को इंफ्रास्ट्रक्चर के भरोसे रहने को मजबूर नहीं कर रहा है। इसके अलावा अब 4-व्हीलर मार्केट में भी सिंपल चार्जिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है।

हाल में पेश की गई Volvo XC90 में Volvo Cars की तरफ से 2 इलेक्ट्रिक चार्जर दिया जा रहा है। पहला चार्जर ग्राहक के घर पर लगेगा और दूसरा चार्जर ऑफिस में। ये दोनों चार्जर फ्री होंगे और इनके सेटअप के लिए ग्राहकों को कोई भी अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। कंपनी का कहना है कि इससे इंफ्रास्ट्रकर की निर्भरता में कमी आएगी।

मैदान में उतरी दिग्गज कंपनियां

Maruti Suzuki ने हाल ही में अपनी इलेक्ट्रिक कार की टेस्टिंग शुरू कर दी है। यहां जानना जरूरी है कि मौजूदा समय में Mahindra और TATA की इलेक्ट्रिक कारें भारत की सड़कों पर दौड़ रही हैं।

ये हैं फायदें

इलेक्ट्रिक वाहनों में इंधन के मुकाबले बहुत कम खर्च होता है। एक अमुमान के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहन का इस्तेमाल करने वाला डिलीवरी ब्वॉय एक दिन में कम से कम 150 रुपये की बचत कर सकता है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों का मैंटेनेंस भी आसान होता है।

इको फ्रेंडली

इलेक्ट्रिक वाहन जीरो इमिशन करते हैं, जिससे इनके जरिए कोई भी प्रदूषण नहीं होता है। इसके अलावा इनसे कोई भी आवाज नहीं आती है। यानी कि अगर आप इलेक्ट्रिक वाहन खरीदते हैं तो ये वायु और ध्वनि प्रदूषण मुक्त होगा।

प्रदूषण का खतरा

दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में फैली जहरीली हवा में सांस लेना सरकार से लेकर लोगों तक के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। दिल्ली की कई जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 642 तक चला गया है। ऐसे में अब सरकार से लेकर आम लोगों के बीच भी इलेक्ट्रिक वाहन इस्तेमाल करने की मांग उठने लगी है। यही कारण है कि अब निर्माता कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर लगातार काम कर रही है।  


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