प्राइवेट इलेक्ट्रिक कारों के लिए मिलने वाली सब्सिडी बंद कर सकती है सरकार, बताया ये कारण
सरकार अब निजी खरीदारों की बजाय ओला और ऊबर जैसे कैब सर्विस प्रोवाइडर को नकद सब्सिडी देगी।
नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। केंद्र सरकार अब इलेक्ट्रिक कारों के खरीदारों को मिलने वाली कैश सब्सिडी को बंद कर सकती है। जानकारों का मानना है कि सरकार के इस कदम से निजी इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री और कम हो जाएगी।
सरकार अब निजी खरीदारों की बजाय ओला और ऊबर जैसे कैब सर्विस प्रोवाइडर को नकद सब्सिडी देगी। पॉलिसी मेकर्स ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि लोग प्राइवेट कारों से ज्यादा ओला और ऊबर के वाहन ज्यादा इस्तेमाल करेंगे। इसलिए सरकार का यह कदम सही है।
सूत्रों ने बताया कि सरकार प्राइवेट इलेक्ट्रिक कारों के लिए नकद प्रोत्साहन वापस लेना चाहती है। इसकी वजह यह है कि अभी तक इस सब्सिडी की वजह से ना तो इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में इजाफा हो रहा है और ना ही क्लीन एनर्जी का उद्देश्य पूरा हुआ है। क्लीन एनर्जी के उद्देश्य से शुरू की गई यह सब्सिडी अब तक खास असर नहीं दिखा पाई है।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार इलेक्ट्रिक कारों पर नकद सब्सिडी बंद कर रही है, लेकिन इलेक्ट्रिक बसों और टू-व्हीलर्स पर इंसेंटिव्स देना जारी रखेगी। हालांकि, बसों पर छूट को कम किया जा सकता है। अभी बस की कुल कीमत का 60 पर्सेंट पैसा इंसेंटिव के तहत आता है, जिसे घटाकर 40 प्रतिशत किया जा सकता है।
आपको बता दें कि अभी सरकार अपने क्लीन एनर्जी प्रोग्राम FAME के तहत इलेक्ट्रिक कार की खरीद पर 1.3 लाख रुपये की छूट दे रही है। FAME की दूसरी ड्रॉफ्ट पॉलिसी में इस सब्सिडी को खत्म किए जाने का प्रस्ताव है। यह पॉलिसी भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा तैयार की जाती है।