कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए सरकार बना रही प्लान, 80,000 करोड़ रुपये की खरीद सकती हैं इलेक्ट्रिक बसें
राज्य-नियंत्रित कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (State-controlled Convergence Energy Services Ltd) भारतीय बाजार में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सरकार प्लान 80000 करोड़ रुपये की इलेक्ट्रिक बसें खरीदनें की बना रही है। इस परियोजना के आने से कई इलेक्ट्रिक बसें की डिमांड तेजी से बढ़ते जाएगी।
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। राज्य-नियंत्रित कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (State-controlled Convergence Energy Services Ltd) अब भारत में 50 हजार इलेक्ट्रीक बसों के लिए 80,000 करोड़ के टेंडर की योजना बना रही है। जिससे भारतीय बाजार में तेजी से इलेक्ट्रीक वाहन के चलन को बढ़ाया जा सकेगा।
सीईएसएल की प्रबंध निदेशक (CESL Managing Director) महुआ आचार्य ने ये कहा कि इस परियोजना के आने से कई इलेक्ट्रिक बसें की डिमांड तेजी से बढ़ते जाएगी। वहीं इस तरह के बुनियादी ढांचे से हमें अपने लक्ष्य को तेजी से पा सकते है। भारत में ईवी का चलन काफी तेजी से बढ़ते जा रहा है और इसके लिए सरकार भी अपनी ओर से कई कदम उठा रही है। जिससे प्रदूषण को कम किया जा सके। इतना ही नहीं सीईएसएल की प्रबंध निदेशक ने ये भी कहा कि ये देंश अपने इलेक्ट्रीक वाहनों की महत्वाकांक्षाओं को तेजी से पूरा कर रहें है। इसमें काफी चुनौतियों जरुर आएगी पर ये एक अवसर में भी बदलता जाएगा।
2020 में हुआ CESL का गठन
आपको बता दें साल 2020 में CESL का गठन किया गया था। इसे एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड के सोलर और इलेक्ट्रीक व्हीकल के कारोबार को पुरी तरह से प्रबंधन करने के लिए किया गया था। जो कुल चार राज्यों द्वारा चलने वाले ऊर्जा कंपनियों के बीच एक कंपनी है। इसका मेन मोटो 2070 तक अपने शुद्ध शून्य उत्सर्जन को हासिल करना है। वहीं जो 2030 तक अपने अनुमान कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कटौती करने के भारत की योजना में अपना एक प्रमुख भूमिका निभा रहा हैं।
जगह -जगह लगेंगे चार्जिंग स्टेशन
सीईएसएल के प्रबंध निदेशक ने बताया कि हम विश्व के तीसरे नंबर के उत्सर्जन के रूप में है। इसलिए जगह -जगह समय के साथ भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ाने के लिए कई चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे, इसके साथ ही इसमें डिपो को एक नया रूप भी दिया जाएगा। वहीं उन्होने बैटरी की समस्या को लेकर भी चिंता जताई है। भारत अभी के समय में इलेक्ट्रिक वाहन के रूप में सड़को पर दोपहिया वाहनों का विद्युतीकरण कर सकता है और सार्वजनिक बसों का विद्युतीकरण पांच से सात साल में पूरा कर सकता है। आपको बता दें इस साल की शुरुआत में ही सीईएसएल ने पांच राज्य सरकारों की ओर से 5,450 इलेक्ट्रिक बसों का ठेका दिया था।