फास्टैग की तिथि 15 दिसंबर तक बढ़ी, फिलहाल नहीं लगेगा जुर्माना
बिना फास्टैग वाहनों के फास्टैग लेन में प्रवेश पर 15 दिसंबर तक कोई जुर्माना नहीं वसूला जाएगा
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। घोषणा के बावजूद एनएचएआइ के विफल रहने के कारण सरकार ने फास्टैग की अनिवार्यता की तारीख को 15 दिनों तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके तहत अब बिना फास्टैग वाहनों के फास्टैग लेन में प्रवेश पर 15 दिसंबर तक कोई जुर्माना नहीं वसूला जाएगा। इसके साथ ही एनएचएआइ के बूथ पर फास्टैग मुफ्त मिलेगा। पहले एक दिसंबर के बाद फास्टैग लेन में प्रवेश करने वाले बिना फास्टैग लगे वाहनों से दोगुना टोल वसूलने का प्रावधान किया गया था। यह फैसला सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की एनएचएआइ के अफसरों के साथ हुई समीक्षा बैठक के बाद लिया गया है। बैठक में गडकरी ने वादे के अनुसार, लोगों को समय पर फास्टैग मुहैया न करा पाने के लिए एनएचएआइ अफसरों की जमकर क्लास लगाई।
आधी-अधूरी तैयारी: सूत्रों के अनुसार एनएचएआइ अफसर पिछले कई महीनों से फास्टैग की तैयारियों के बारे में सड़क मंत्रलय को गलत जानकारियां दे रहे थे। वे लगातार सब कुछ दुरुस्त होने का भरोसा दे रहे थे। और इसी आधार पर गडकरी ने 22 नवंबर की प्रेस कांफ्रेस में फास्टैग को एक दिसंबर तक मुफ्त उपलब्ध कराने की घोषणा की थी। लेकिन मंत्री की घोषणा के अनुरूप एनएचएआइ वादा निभाने में विफल रही। एनएचएआइ के भरोसे पर ही गडकरी ने एक दिसंबर तक एनएचएआइ के तमाम पीओएस पर मुफ्त फास्टैग मिलने की घोषणा कर दी थी, पर एनएचएआइ एक भी पीओएस पर मुफ्त फास्टैग उपलब्ध नहीं करा सकी। जिन स्थानों पर मुफ्त फास्टैग के कियॉस्क लगाए गए थे वे भी उठा लिए गए।
बैंकों में भी दिक्कत: यही नहीं, जिन बैंकों और पेटीएम के साथ एनएचएआइ की सब्सिडियरी इंडियन हाईवे मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड ने करार किया है, वे भी फास्टैग की अचानक पैदा हुई मांग से निपटने में खुद को असमर्थ पा रहे थे। नतीजतन, टोल प्लाजा से लेकर बैंक शाखाओं तक कतारें लगी हुई थीं और लोग एनएचएआइ को कोस रहे थे।
लोगों की शिकायत: कई लोगों की शिकायत है कि बैंक वाले फास्टैग लेने के लिए खाता खुलवाने पर जोर डाल रहे हैं। यह दिक्कत उन ग्राहकों के साथ है जो नजदीक होने के कारण दूसरे बैंकों की शाखाओं में फास्टैग लेने जा रहे हैं या जिन्होंने ऑनलाइन अप्लाई नहीं किया है। दूसरी दिक्कत कागजी कार्यवाही की है जिसमें समय लगता है। ऑनलाइन आवेदकों को भी एक हफ्ते बाद ही फास्टैग मिलने की उम्मीद है।
कीमत को लेकर भ्रम: ज्यादातर ग्राहकों को भ्रम है कि उन्हें हर जगह मुफ्त में फास्टैग मिलेगा। इसलिए जिन पीओएस पर उनसे पैसे लिए जा रहे हैं वे उसकी शिकायत कर रहे हैं और सोशल मीडिया के जरिये गुस्से का इजहार कर रहे हैं। कुछ लोगों ने तो 22 नवंबर से पहले मुफ्त फास्टैग न मिलने की शिकायत भी की है, जबकि एनएचएआइ को छोड़ बाकी सभी पीओएस फास्टैग की पूरी कीमत लेने को स्वतंत्र हैं। जब तक प्रबंधन इसे मुफ्त उपलब्ध कराने का निर्णय न ले ले तब तक वे ऐसा कर सकते हैं। कुछ बैंक टैग का पैसा नहीं ले रहे मगर अलग-अलग सिक्यूरिटी डिपाजिट और रिचार्ज रकम वसूल रहे हैं। लोगों की मांग है कि एनएचएआइ को डिलीवरी चार्ज छोड़ फास्टैग को पूरी तरह मुफ्त में उपलब्ध कराना चाहिए।
तकनीकी झमेले: लोगों की शिकायत है कि एनएचएआइ और बैंकों के पीओएस पर फास्टैग मिलने में तकनीकी अड़चनों के कारण भी विलंब होता है। यहां तक कि खुद एनएचएआइ और सड़क मंत्रलय के अफसरों को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। एनएचएआइ ने आम लोगों को फास्टैग इश्यू करने के लिए ट्रांसपोर्ट भवन के प्रवेश द्वार पर दो कर्मचारियों के साथ अपना पीओएस स्थापित किया था।