पेट्रोल-डीजल की कीमतों से हैं परेशान, तो इलेक्ट्रिक गाड़ियों को घर लाने की करें तैयारी
आसमान छूते डीजल/पेट्रोल के दामों से परेशान लोगों के लिए एक राहत भरी खबर
नई दिल्ली (आमोद राय)। देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातर बढ़ती ही जा रही हैं, ऐसे में इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के निर्माण और उपयोग को बढ़ावा देने की मुक्कमल तैयारी केंद्र सरकार कर रही है।
इलेक्ट्रिक गाड़ियों के प्रति आम लोगों का रुझान बढ़ाने के लिए पहले से ही चल रहे सरकारी प्रयास (फेम1) को और भी आकर्षक और नई स्कीम के जरिये लोगों को लुभाने की कोशिश की जा रही है। सरकार द्वारा इस पर जल्दी ही नई योजना और एक एक्शन प्लान जारी किए जाने की संभावना हैI
वातावरण में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सरकार पूरी तरह से कटिबद्ध है। इसी कड़ी में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए खाका तैयार हो चुका है। जानकारों का मानना है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों का इस्तेमाल बेहद किफायती होगा। बताया जा रहा है कि डीजल/पेट्रोल की तुलना में यात्रा लगभग एक-तिहाई या एक-चौथाई कीमत पर हो पायेगी, यानी अगर आपकी मौजूदा यात्रा 4/5रुपये प्रति किलोमीटर है तो ये घटकर 1 या 1.50 रु प्रति किलोमीटर ही रह जायेगाI
इस संबंध में नीति आयोग ने अमेरिका की संस्था रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट से पूरी स्टडी तैयार करवाई है। इसके साथ ही गाड़ियों के निर्माण से जुडी कंपनियों और उद्योग जगत से जुड़े संस्थाओं की राय मांगी थी। इसे लेकर गाड़ियों से जुडी औधोगिक संस्था सियाम (SIAM- Society for automobile manufacturers) ने पिछले दिसंबर में एक श्वेतपत्र जारी किया था। अपनी रिपोर्ट में सियाम ने कहा है - अगले 12 वर्ष में यानी 2030 तक देश में सडक पर 40% इलेक्ट्रिक गाड़ियों का दबदबा होगा, जबकि 2047 तक इनकी संख्या 100% होगी। नीति आयोग की रिपोर्ट ने भी सियाम(SIAM) के रिपोर्ट पर मुहर लगायी हैI
वहीं, इस बावत उद्योग जगत से जुडी संस्था फिक्की ने टोयोटो किर्लोस्कर मोटर्स के वाइस चेयरमैन शेखर विश्वनाथन के नेतृत्व में गठित कमेटी ने भी अपनी 90 पेज की एक डिटेल रिपोर्ट नीति आयोग को सौंपी है जिसमें कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं।‘दैनिक जागरण’ से बातचीत में कमिटी के अध्यक्ष शेखर विश्वनाथन ने कहा, “हम लोगों ने फिक्की की ओर से ये सुझाव दिया है कि कम कार्बन उत्सर्जन वाली गाड़ियों के निर्माण में सरकार द्वारा गाड़ी उत्पादकों को सभी सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए। हमें ख़ुशी हैं कि सरकार ने अपने ड्राफ्ट ऑटो पॉलिसी में इसे खास तवज्जो दिया है।
ड्राफ्ट ऑटो पॉलिसी में इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर जोर:
भारी उद्योग मंत्रालय ने हाल में जारी अपने ड्राफ्ट ऑटो पॉलिसी में ग्रीन मोबिलिटी यानी इलेक्ट्रिक गाड़ियों के प्रचलन और विकास पर जोर दिया है। इसके लिए इंसेंटिव और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर आधारित दीर्घकालिक रोडमैप बनाने और लागू करने पर जोर दिया गया है। मंत्रालय ने 2023 तक केंद्र और राज्य सरकारों के संस्थाओं/उपक्रमों को 25% इलेक्ट्रिक गाड़ियों की खरीद अनिवार्य करने का सुझाव दिया है,जबकि 2030 तक सरकारी फ्लीटों में ग्रीन तकनीक वाली गाड़ियों की संख्या 75% होगी। मंत्रालय ने सभी मेट्रो सिटी के अथॉरिटी/निगमों को 2023 तक अपनी गाड़ियों में 50% और 2030 तक 100% इलेक्ट्रिक व्हीकल रखने का सुझाव दिया है। भारी उद्योग मंत्रालय ने इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए बनी सरकारी योजना फेम (FAME) को और मजबूत करने और कामों में तेजी लाने के सुझाव दिया है।
इलेक्ट्रिक गाड़ियां किसे कहते हैं? जानिये
कैसे काम करती हैं?
ग्राहकों को मिलेगा आकर्षक ऑफर:
- आम लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियों के प्रति आकर्षित हों इसके लिए पहले से ही फेम स्कीम की जरिये ग्राहकों को इलेक्ट्रिक गाड़ियों की खरीद पर सरकार 7500 रुपये से लेकर 61 लाख रुपये तक की सब्सिडी दे रही है।
- इलेक्ट्रिक-गाड़ियों पर 5%जीएसटी कम रखने की यानी 15-23% किये जाने की संभावना है।
- रजिस्ट्रेशन-शुल्क खत्म/कम किया जा सकता है।
- मौजूदा डीजल/पेट्रोल (आइस तकनीकी) गाड़ियों पर एक्सचेंज/सब्सिडी/छूट दिया जा सकता है।
- गाड़ी चार्जिंग की समस्या से पूरी तरह मुक्ति देने की मुक्कमल योजना।
- लंबी यात्रा के लिए बैटरी पोर्टेबिलिटी की सुविधा होगी।
- गाड़ियों की ज्यादा से ज्यादा वेरिएन्ट लॉन्च करने की योजना।
- बैटरी स्वैपिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराने की मांग।
पेट्रोल और डीजल से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है उस लिहाज अब इलेक्ट्रिक गाड़ियों की तरह रुख करना ही हमारे आने वाले कल के लिए बेहतर होगा।