इलेक्ट्रिक कारों की सरकारी खरीद में हो रही है देरी, 2019 तक बढ़ी डेडलाइन
इससे वायु प्रदूषण और फॉसिल फ्यूल व्हीकल से निर्भरता कम करने की सरकार की योजना को झटका लगा है।
नई दिल्ली (ऑटो डेस्क)। सरकार ने इलेक्ट्रिक कारों को सड़कों पर उतारने की मौजूदा डेडलाइन को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। इससे सरकार की 2030 तक कुल वाहनों में से एक तिहाई इलेक्ट्रिक वाहनों का फ्लीट तैयार करने की योजना को झटका लगा है।
सरकारी कंपनी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विस लिमिटेड (EESL) को इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने का काम सौंपा गया था। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर सौरभ कुमार ने कहा कि हम मार्च 2019 तक 10 हजार इलेक्ट्रिक वाहन सड़कों पर उतार देंगे। EESL ने 10 हजार कारों के लिए पिछले साल सितंबर में टेंडर जारी किए थे। इसकी नंवबर तक 500 और जून तक बाकी वाहन सड़कों पर उतारने की योजना थी।
सौरभ ने बताया कि 10 हजार कारों के लिए चार्जिंग पॉइंट बनाने और सरकार द्वारा इन्हें लेने में लग रहे समय की वजह से ये देरी हुई है। दिल्ली में अभी करीब 150 और आंध्र प्रदेश में करीब 100 इलेक्ट्रिक कारें हैं। इनके लिए करीब 200 चार्जिंग पॉइंट बनाए गए हैं जिनमें से 100 दिल्ली में हैं।
टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा ने EESL के इलेक्ट्रिक वाहनों के पहले टेंडर को हासिल किया था, लेकिन इन्होंने कंपनी की मांग पर कोई जवाब नहीं दिया। इसके बाद EESL ने इस साल 10 हजार कारों के लिए फिर टेंडर जारी किए थे। सौरभ ने बताया कि मैंने 19 हजार कारें मांगी हैं और अगर हमें इतनी कारें नहीं मिलती हैं तो हम फिर से टेंडर जारी नहीं करेंगे।
केंद्र सरकार वायु प्रदूषण और फॉसिल फ्यूल से निर्भरता कम करने के लिए 2030 तक एक तिहाई इलेक्ट्रिक वाहन उतारने की योजना बना रही है। BNEF के मुताबिक, सस्ती कारें और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सरकारी सब्सिडी ना होने की वजह से सरकारों और कंपनियों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना मुश्किल हो रहा है। इसके मुताबिक, 2030 तक बिकने वाले कुल वाहनों में से 7 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन होंगे। BNEF के एक एनालिस्ट ने बताया कि अगले 3-5 सालों में सरकारी टेंडर इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड बढ़ाने में काफी उपयोगी होंगे।