Chandrayaan-2: गर्व है ISRO पर जिसकी इस ‘तकनीक’ का आप भी मान जाएंगे लोहा
Chandrayaan 2 का चांद पर उतरने से पहले ही Vikram lander का संपर्क टूट गया हालांकि ISRO की कई कामयाबियों की तारीफ हो रही है जिनमें Pragyan Rover में इस्तेमाल की गई स्वदेशी तकनीक
नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। Chandrayaan-2 पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुईं थी, लेकिन 7 सितंबर को ‘लैंडर विक्रम’ (Vikram lander) का चंद्रमा की सतह पर उतरने से पहले ही संपर्क टूट गया। हालांकि, इस दौरान ISRO की कई ऐसी उपलब्धियां हैं जिसकी न सिर्फ देश बल्कि पूरी दुनिया तारीफ कर रही है। ऐसा ही कुछ तब देखने को मिला जब PM Narendra Modi ने अपने भाषण में ISRO की कई उपलब्धियों का जिक्र किया। बता दें कि Chandrayaan-2 की लॉन्चिंग 22 जुलाई 2019 को ISRO (इसरो) के रॉकेट बाहुबली (GSLV-Mark 3) से हुई थी। ऐसे में ‘लैंडर विक्रम’ के संपर्क टूटने पर पूरा देश उदास है, जिसकी झलक तब देखने को मिली जब PM Narendra Modi से गले लगकर Dr K Sivan भावुक हो गए। हालांकि, इस मिशन में अभी बहुत कुछ है। ऐसे में हम आपको ISRO के उस स्वदेशी तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे Pragyan Rover (प्रज्ञान रोवर) में इस्तेमाल किया गया है।
This is Mission Control Centre. #VikramLander descent was as planned and normal performance was observed up to an altitude of 2.1 km. Subsequently, communication from Lander to the ground stations was lost. Data is being analyzed.#ISRO
— ISRO (@isro) September 6, 2019
प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover)
यह एक 27 किलोग्राम वजन वाला रोबोटिक व्हीकल है जो चांद की सतह पर मूव करने में सक्षम है। इसमें भी लैंडर और ऑर्बिटर की तरह ही सोलर पैनल लगे हैं जो 50W की इलेक्ट्रिसिटी जेनरेट करने में सक्षम है। प्रज्ञान रोवर का नाम संस्कृत से लिया गया है जिसका मतलब होता है ज्ञानी। यह रोवर केवल लैंडर से ही कम्युनिकेट कर सकता है।
प्रज्ञान रोवर को इस तरह से बनाया गया था कि, जब विक्रम लैंडर चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करता और इस पर सूरज की रोशनी पड़ती, तब लैंडर का दरवाजा खुल जाता। विक्रम लैंडर (Vikram lander) का दरवाजा खुलते ही, प्रज्ञान रोवर के ऊपर लगे सोलर पैनल पर सूरज की सीधी रोशनी पड़ती। रोवर पर सूरज की रोशनी पड़ते ही यह एक्टिवेट हो जाता और चांद की सतह पर मूव करते हुए वहां के वातावरण समेत दूसरी चीजों का परीक्षण करता।
प्रज्ञान रोवर के रास्ते में आने वाले पत्थर और रूकावट से बचने के लिए इसके सभी 6 पहिए में रॉकर बॉगी लगी है, जो कि स्प्रिंग के साथ फिट किया गया स्टब एक्सल होता है। इसकी मदद से प्रज्ञान रोवर इन रूकावटों से पार पाता हुआ चांद की सतह पर आगे बढ़ने में सक्षम है।
प्रज्ञान रोवर को इस तरह बनाया गया था कि यह चांद की सतह पर कुल 14 दिनों तक काम कर सकता था। इस दौरान यह कुल 500 मीटर की दूरी तय करता। प्रज्ञान रोवर प्रति सेकेंड 1 सेंटीमीटर की स्पीड से आगे बढ़ने में सक्षम था। इस पूरे सिस्टम की तकनीक स्वदेशी थी, जिसे ISRO ने बनाया था।