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अप्रैल महीने में कार कंपनियां बढ़ा सकती हैं कीमतें, जानें कितने बढ़ जाएंगे दाम

SIAM के मुताबकि BS6 मानक के तहत कार के निर्माण में BS4 के मुकाबले लागत बढ़ जाएगी

By Ankit DubeyEdited By: Published: Wed, 04 Mar 2020 10:09 AM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2020 02:07 PM (IST)
अप्रैल महीने में कार कंपनियां बढ़ा सकती हैं कीमतें, जानें कितने बढ़ जाएंगे दाम
अप्रैल महीने में कार कंपनियां बढ़ा सकती हैं कीमतें, जानें कितने बढ़ जाएंगे दाम

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। अप्रैल महीने में ऑटो कंपनियां अपनी कारों की कीमतों में इजाफा कर सकती हैं। माना जा रहा है कार की कीमतों में 3-6 फीसद तक इजाफा हो सकता है। सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (सियाम) के पदाधिकारियों के मुताबकि BS6 मानक के तहत कार के निर्माण में BS4 के मुकाबले लागत बढ़ जाएगी। उन्होंने बताया कि BS6 मानक वाली पेट्रोल कार की लागत BS4 कार की लागत के मुकाबले 3-4 फीसद अधिक होगी। वहीं डीजल वर्जन में यह अंतर 5-6 फीसद होगा। सियाम के मुताबिक यह कार कंपनियों पर निर्भर करेगा कि वह कार की कीमत किस स्तर तक बढ़ाती है, लेकिन पहले से ही लागत का दबाव झेल रही कंपनियां BS6 मानक वाली कार की कीमत बढ़ा सकती हैं।

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कार कंपनियों के मुताबिक BS4 मानक वाली कारों का स्टॉक काफी कम रह गया है और 15 मार्च तक स्टॉक समाप्त होने की उम्मीद है। लेकिन ग्राहक भी BS6 के इंतजार में हैं। ऐसे में 31 मार्च के बाद BS4 कार का क्या होगा, इस पर कंपनियां कुछ नहीं कह रही हैं। अप्रैल में कार डिलिवरी में हो सकती दिक्कत कार कंपनियों के मुताबिक चीन से ऑटो पार्ट्स की सप्लाई चेन प्रभावित होने की वजह से अप्रैल माह में कारों की डिलिवरी में देरी हो सकती है। कंपनियां BS6 मानक के मुताबिक कार बनाने का काम कर रही है, लेकिन उनके पास BS6 गाड़ियों का स्टॉक नहीं है। BS4 का कुछ स्टॉक है जिसे एक अप्रैल से नहीं बेचा जा सकता है। चीन से सप्लाई चेन बाधित होने से कार निर्माण प्रभावित हो रहा है। औद्योगिक संगठन CII के अनुमान के मुताबिक चीन से ऑटो पार्ट्स की सप्लाई लंबे समय के लिए प्रभावित रहने पर वर्ष 2020 के दौरान ऑटो मैन्यूफैक्चरिंग में 8-10 फीसद की गिरावट हो सकती है।

इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में भी गिरावट औद्योगिक संगठन CII की रिपोर्ट के मुताबिक भारत इलेक्ट्रिक वाहन के लिए इस्तेमाल होने वाली बैट्री के मामले में काफी हद तक चीन पर निर्भर है। विश्व की तीन चौथाई बैट्री का उत्पादन चीन में किया जाता है। लीथियम केमिकल्स जिसका इस्तेमाल कैथोड और बैट्री सेल बनाने में किया जाता है, के लिए भारत पूरी तरह से चीन पर आश्रित है।

सोसायटी ऑफ मैन्यूफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के मुताबिक इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कई पार्ट चीन से आते हैं। ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में देरी होगी। मुख्य रूप से ई-रिक्शा के निर्माण में देरी के आसार हैं। टू-व्हीलर की कुल बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी एक फीसद से भी कम है। 


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