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GST से पहले ऑटोमोबाइल बाजार में भारी असमंजस

एक तरफ कार कंपनियां और डीलर सीधे डिस्काउंट देकर पुराने स्टॉक को निकालने की जुगत कर रही हैं तो दूसरी तरफ ग्राहक जीएसटी के लागू होने के बाद और सस्ते वाहन की उम्मीद कर रहा है।

By Ankit DubeyEdited By: Published: Tue, 20 Jun 2017 11:17 AM (IST)Updated: Tue, 20 Jun 2017 11:17 AM (IST)
GST से पहले ऑटोमोबाइल बाजार में भारी असमंजस
GST से पहले ऑटोमोबाइल बाजार में भारी असमंजस

नई दिल्ली (जेएनएन)। जीएसटी लागू होने को लेकर अभी जो माहौल है उससे अगर किसी उद्योग में सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो वह ऑटोमोबाइल उद्योग है। एक तरफ कार कंपनियां और डीलर सीधे डिस्काउंट देकर पुराने स्टॉक को निकालने की जुगत कर रही हैं तो दूसरी तरफ ग्राहक जीएसटी के लागू होने के बाद और सस्ते वाहन की उम्मीद कर रहा है। भारी भरकम डिस्काउंट के बावजूद ग्राहक फूंक फूंककर कदम उठा रहा है। देश की ऑटोमोबाइल कंपनियों के पास तकरीबन तीन लाख पुराने कारों को जीएसटी लागू होने के बाद निकालने की जबरदस्त चुनौती है।

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कार कंपनियों की ग्राहकों को पेशकश:
कार उद्योग के सूत्रों के मुताबिक जीएसटी लागू होने के बाद बाजार में कार की कीमतों पर क्या असर पड़ेगा, इसको लेकर भारी असमंजस का माहौल है। सिर्फ कयास लगाये जा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि कुछ कार कंपनियों ने अपने ग्राहकों को आश्वासन दिया है कि अभी वे कार खरीद लें और बाद में जीएसटी की वजह से उस मॉडल की कीमत कम होती है उस कीमत का अंतर ग्राहकों को लौटा दिया जाएगा। वैसे मोटे तौर पर अंदाज यह है कि राज्यो में जीएसटी का कार कीमतों पर अलग-अलग असर होगा।

दिल्ली में हो सकता है कार की कीमतों में इजाफा:
मसलन, मारुति सुजुकी के एक डीलर के मुताबिक दिल्ली में वैट की दर महज 12.5 फीसद होने की वजह यहां जीएसटी लागू होने के बाद कारों की कीमतों में इजाफा होने की संभावना है लेकिन दूसरे राज्यों में मारुति के अन्य सभी मॉडलों की कीमतों में 3,000 से 5,000 रुपये कमी आने के आसार हैं। पूरी स्थिति अगले हफ्ते स्पष्ट हो जाएगी।

करीब तीन लाख कारें हैं तैयार:
कार उद्योग से जुड़े लोगों के मुताबिक सभी कार कंपनियों के पास पुराने मॉडलों के तकरीबन तीन लाख कारें तैयार हैं जिन्हें वे जीएसटी लागू होने से पहले बेचना चाहती हैं। इन कारों का बड़ा हिस्सा डीलरों के पास पड़ा हुआ है। इन कारों पर वैट के अलावा औसतन तीन तरह के स्थानीय कर लगते हैं जिसका भुगतान डीलरों की तरफ से किया जाता है। डीलरों का कहना है कि अगर इन मॉडलों की बिक्री नहीं होगी तो चुकाया गया कर का बोझ उन्हें उठाना पड़ेगा। 


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