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Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा की रात से इन लोगों की बदलेगी तकदीर, पैसों की किल्लत होगी दूर

Updated: Mon, 06 Oct 2025 05:00 PM (IST)

ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक कहा जाता है। कुडंली में चंद्रमा मजबूत होने से जातक को सभी प्रकार के शुभ कामों में सिद्धि और सफलता मिलती है। धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है। शरद पूर्णिमा की रात (Sharad Purnima 2025) मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

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Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, सोमवार 06 अक्टूबर यानी आज शरद पूर्णिमा है। इस शुभ अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जा रही है। साथ ही दान-पुण्य भी किया जा रहा है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। चंद्रमा की रोशनी से अमृत समान ऊर्जा का प्रवाह होता है। इसके लिए चांद की रोशनी में खीर रखी जाती है।

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ज्योतिषियों की मानें तो शरद पूर्णिमा की रात कई जातकों के लिए बेहद शुभ रहने वाला है। इन लोगों पर धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसेगी। उनकी कृपा से धन की परेशानी दूर होगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। आइए, इन जातकों के बारे में जानते हैं-

मूलांक 06

देवी मां लक्ष्मी का प्रिय अंक 06 है। इसके लिए 06 मूलांक के जातकों पर देवी मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से व्यक्ति को शुभ कामों में हमेशा सफलता मिलती है। ज्योतिषियों की मानें तो 06, 15 और 24 तारीख के दिन जन्म लेने वाले जातकों का मूलांक 6 होता है। इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को 06, 15 और 24 तारीख के दिन जन्म लेने वाले जातकों पर देवी मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसेगी। उनकी कृपा से मन प्रसन्न रहेगा। मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी। घर में खुशियों जैसा माहौल रहेगा। शरद पूर्णिमी की रात पूजा के समय देवी मां लक्ष्मी नारायण जी को श्रीफल और चावल की खीर अर्पित करें।

मां लक्ष्मी के मंत्र

1. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

2. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौं ॐ ह्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौं ऐं क्लीं ह्रीं श्री ॐ।

3. ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥

4. सिन्दूरारुणकान्तिमब्जवसतिं सौन्दर्यवारांनिधिं,

कॊटीराङ्गदहारकुण्डलकटीसूत्रादिभिर्भूषिताम् ।

हस्ताब्जैर्वसुपत्रमब्जयुगलादर्शंवहन्तीं परां,

आवीतां परिवारिकाभिरनिशं ध्याये प्रियां शार्ङ्गिणः ॥

भूयात् भूयो द्विपद्माभयवरदकरा तप्तकार्तस्वराभा,

रत्नौघाबद्धमौलिर्विमलतरदुकूलार्तवालेपनाढ्या ।

नाना कल्पाभिरामा स्मितमधुरमुखी सर्वगीर्वाणवनद्या,

पद्माक्षी पद्मनाभोरसिकृतवसतिः पद्मगा श्री श्रिये वः ॥

वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां,

हस्ताभ्यामभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम् ।

भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिस्सेवितां,

पार्श्वे पङ्कजशङ्खपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः ॥

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।