कोल्डप्ले कॉन्सर्ट से एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर फिर आया चर्चा में, जानिए कौन से ग्रह योग कराते हैं ऐसा
Extramarital Affair Astrology टेक कंपनी के सीईओ और एचआर हेड कोल्डप्ले कॉन्सर्ट में Kiss Cam में दिखने के बाद उनके विवाहेतर संबंध की चर्चा शुरू हो गई। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शुक्र और मंगल की युति पीड़ित शुक्र या चंद्र राहु का सातवें या बारहवें भाव में होना और पंचम भाव में कई ग्रहों की उपस्थिति अवैध संबंधों का कारण बन सकती है।

एस्ट्रोपत्री, नई दिल्ली। हाल ही में हुए कोल्डप्ले कॉन्सर्ट में एक प्रसिद्ध टेक कंपनी के सीईओ और उनकी एचआर हेड अनेपक्षित रूप से Kiss Cam में आ गए। इनकी आपस की नजदीकियां और केमिस्ट्री पूरी दुनिया की नजरों में आ गईं।
परिणामतः व्यभिचार या विवाहेतर संबंध बहुत जोर शोर से एक बार फिर से चर्चाओं का विषय बन गए हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस कंपनी को संक्षेप में ‘एस्ट्रो’ ‘कहा जाता है। हालांकि, पूरा नाम एस्ट्रोनोमर’ (Astronomer) है।
आइए, हम एक एस्ट्रो या ज्योतिषीय दृष्टिकोण (extramarital affair astrology) से इस प्रकरण को समझने की कोशिश करते हैं। आखिर ऐसा क्या ज्योतिषीय समीकरण है कि लोग विवाह के बाहर प्रेम संबंध बना लेते हैं और कब ये बातें सार्वजनिक रूप से इतनी ज्यादा सामने आ जाती हैं।
लोग अवैध संबंधों में क्यों पड़ते हैं?
विवाहेत्तर संबंध (Extramarital affairs) बहुत जटिल होते हैं। मगर, इनमें छिपे मानसिक कारणों को ज्योतिष से समझा जा सकता है। कुछ खास ग्रहों की स्थिति और गोचर इंसान की इच्छाओं, छुपे रहस्यों या अंदरूनी असंतोष को बढ़ा देते हैं और फलस्वरूप जातक अपने रिश्ते की सीमाओं से बाहर जा सकता है।
अवैध संबंधों के पीछे प्रमुख ग्रह-योग
शुक्र और मंगल देव की युति या दृष्टि- यह योग तीव्र वासना को जन्म देता है। जब यह पांचवे, सातवे या बारहवें भाव (घर) में स्थित होता है (Planet Astrology For Extra Marital Affair), तो जातक सीमाओं से बाहर की काम वासना की ओर आकर्षित होने लगता है।
पीड़ित शुक्र देव या चंद्र देव- जब प्रेम के कारक शुक्र देव या भावनाओं के कारक चंद्र देव राहु-केतु देव, मंगल देव या शनि देव जैसे पाप ग्रहों से पीड़ित होते हैं। विशेषकर सातवे या बारहवें भाव में तो यह भावनात्मक असंतोष और अनियंत्रित व्यवहार की ओर ले जा सकते हैं।
राहु का सातवें या बारहवें भाव में होना- राहु देव माया और ऊर्जा के संकेतक हैं। सातवे और बारहवें भाव में यह अनियंत्रित इच्छाएं और छिपे हुए संबंध उत्पन्न कर सकते हैं। जिससे जातक के अवैध प्रेम संबंध बन सकते हैं।
पंचम भाव में कई ग्रहों की उपस्थिति- पंचम भाव प्रेम का कारक होता है। जब यह भाव भीड़-भाड़ वाला हो, यानि कई ग्रह यहां इकट्ठे बैठे हों या कोई ग्रह पीड़ित हो और खासकर तब जब शुक्र देव मंगल देव या राहु देव यहां उपस्थित हों, तो यह समीकरण कई प्रेम संबंधों का कारण बन सकता है।
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