ऑफिस रोमांस या ग्रहों का प्रभाव, जानिए एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के इंसानी और ज्योतिषीय कारण
कोल्डप्ले कॉन्सर्ट के बाद विवाहेतर संबंधों (extramarital affair astrology) पर चर्चा हो रही है जिसका ज्योतिषीय आधार भी है। ज्योतिष के अनुसार दारकारक ग्रह का बारहवें भाव में होना असंतोष पैदा कर सकता है। शुक्र या मंगल का वक्री होना पिछले जन्म के कर्मों को दर्शाता है जिससे असामान्य प्रेम व्यवहार हो सकता है।

एस्ट्रोपत्री, नई दिल्ली। कोल्डप्ले कॉन्सर्ट में एक टेक कंपनी के सीईओ और उनकी एचआर हेड Kiss Cam में आ गए। इसके बाद विवाहेतर संबंधों (extramarital affair astrology) को लेकर एक बार से चर्चाएं हो रही हैं। मगर, इसका ज्योतिषीय आधार क्या है? मानवीय और ज्योतिषीय कारण (Planet astrology) क्या हैं?
दारा कारक द्वादश भाव में या पीड़ित हो
यदि दारकारक ग्रह यानी पति-पत्नी को दर्शाने वाला ग्रह बारहवें भाव में हो, तो यह असंतोष या छिपी हुई प्रवृत्तियों को जन्म दे सकता है। दरअसल, कुंडली के 12वें घर को ज्योतिष में शयन सुख या रहस्य का भाव माना जाता है।
शुक्र देव या मंगल देव का वक्री होना
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र देव या मंगल देव का वक्री होते हैं, तो यह पिछले जन्म के संबंधों से जुड़े अधूरे कर्म को दर्शाता हैं। जो इस जन्म में असामान्य प्रेम व्यवहार के रूप में सामने आ सकते हैं।
जो लोग ज्योतिष में पारंगत हैं, वो जानते हैं कि एक विभागीय चार्ट होता है, जिसे त्रिंशांश या D30 कहा जाता है। इस चार्ट का अध्ययन करके यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति के अंदर विवाहेतर संबंधों की प्रवृत्ति होगी या नहीं।
एक्स्ट्रा मैरिटल संबंध - मानवीय और ज्योतिषीय कारण
वैवाहिक जीवन में ऊब महसूस होना
यह अक्सर सातवें भाव या उसके स्वामी के पीड़ित होने से होता है। विशेषकर जब शनि देव का प्रभाव हो, जिससे ऊब या भावनात्मक शून्यता उत्पन्न होती है। कमजोर शुक्र देव या चंद्र देव यदि निष्क्रिय राशियों में हों, तो यह वैवाहिक जीवन में ऊब को जन्म देता हैं। जिससे बाहरी उत्तेजना आकर्षक लगने लगती है।
उच्च यौन इच्छा
लग्न, अष्टम या बारहवें भाव में शक्तिशाली मंगल देव के होने से शारीरिक जरूरतें तीव्र होती हैं। यदि गुरु का संतुलनकारी प्रभाव न हो, तो यह इच्छा नैतिक सीमाओं को पार कर सकती है।
मनोरंजन या प्रयोग के लिए संबंध
राहु देव का पंचम या बारहवें भाव में प्रभाव रोमांस में जोखिम भरे व्यवहार और नवीनता की तलाश को बढ़ाता है। बुध और शुक्र देव की युति हो या यदि वे पीड़ित हों, तो ऐसा समीकरण उथले और अनैतिक संबंधों को जन्म देता है।
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यौन संबंध को शक्ति के प्रतीक के रूप में देखना
जब मंगल और राहु देव दशम भाव या उसके स्वामी को प्रभावित करें या शुक्रदेव मकर या वृश्चिक राशि में हो, तो प्रेम संबंध अहंकार या नियंत्रण दिखाने का माध्यम बन जाते हैं।
ऑफिस रोमांस या अफेयर
दशम भाव में शुक्र-शनि या शुक्र-बुध की युति कार्यस्थल पर भावनात्मक उलझाव को दर्शाती है। यदि सप्तम भाव का स्वामी दशम भाव से जुड़ता है, तो प्रेम और करियर अक्सर एक साथ चलते हैं।
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