Mahapadma Kaal Sarp Yog: कब और कैसे लगता है महापद्म कालसर्प दोष? इन उपायों से करें बचाव
वर्तमान समय में मायावी ग्रह राहु मीन राशि में विराजमान हैं। वहीं केतु कन्या राशि में उपस्थित हैं। इस साल मई महीने में राहु और केतु (Mahapadma Kaal Sarp Yog) राशि परिवर्तन करेंगे। मई महीने में राहु कुंभ राशि में गोचर करेंगे। वहीं केतु सिंह राशि में प्रवेश करेंगे। राहु और केतु के राशि परिवर्तन करने से सिंह राशि के जातकों को सावधान रहने की आवश्यकता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिष शास्त्र में राहु एवं केतु को मायावी ग्रह कहा जाता है। ये दोनों ग्रह हमेशा वक्री चाल चलते हैं। दोनों एक राशि में अठारह महीने तक रहते हैं। इसके बाद राशि परिवर्तन करते हैं। राहु और केतु के राशि परिवर्तन से भाव अनुसार प्रभाव पड़ता है। राहु और केतु मई महीने में राशि परिवर्तन करेंगे।
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राहु और केतु के राशि परिवर्तन से राशिचक्र की सभी राशियों पर प्रभाव पड़ता है। राहु और केतु का सूर्य और चंद्र के साथ शत्रुवत संबंध है। अतः कर्क एवं सिंह राशि के जातकों पर राहु एवं केतु की कुदृष्टि रहती है। लेकिन क्या आपको पता है कि कुंडली में कब महापद्म कालसर्प योग लगता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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महापद्म कालसर्प दोष के प्रभाव
कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को आर्थिक नुकसान होता है। कई अवसर पर कर्ज की समस्या होती है। साथ ही वैवाहिक जीवन में भी परेशानी आती है। इसके चलते संबंध विच्छेद भी होता है। इस दोष से पीड़ित जातक को कई बुरी लत भी लगती है। जातक बुरी लत के चलते आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।
कब बनता है महापद्म कालसर्प दोष?
ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में राहु के छठे भाव में रहने और केतु के बारहवें भाव में रहने से महापद्म कालसर्प दोष लगता है। इस दौरान सभी शुभ और अशुभ ग्रह दोनों मायावी ग्रह के मध्य रहते हैं। इस स्थिति में महापद्म कालसर्प दोष लगता है। आसान शब्दों में कहें तो कुंडली में राहु के छठे और केतु के बारहवें भाव में रहने के साथ सभी शुभ और अशुभ ग्रह मायावी ग्रह के मध्य में रहने पर जातक महापद्म कालसर्प दोष से पीड़ित होता है।
उपाय
ज्योतिषियों का मत है कि महापद्म कालसर्प दोष लगने पर निवारण अनिवार्य है। वहीं, सामान्य उपाय कर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। महापद्म कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शिव की पूजा करें। वहीं, सोमवार और शनिवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। इसके साथ ही सफेद चीजों का दान करें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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