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UP: गोविंद देव गिरिजी बोले- राम मंदिर का 70 फीसदी काम पूरा, जनवरी 2024 में होगी भगवान राम की मूर्ति स्थापना

अयोध्‍या में राम मंद‍िर का न‍िर्माण तेजी से हो रहा है। गर्भगृह का न‍िर्माण भी शुरू हो गया है। छत ढलने के साथ ही गर्भगृह का निर्माण लगभग पूरा हो जाएगा। ऐसे में रामलला की स्‍थापना जनवरी 2024 तक संभा‍व‍ित है।

By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraPublished: Thu, 16 Mar 2023 09:06 AM (IST)Updated: Thu, 16 Mar 2023 09:06 AM (IST)
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज

लखनऊ, जेएनएन। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देव गिरिजी महाराज ने बताया क‍ि फिलहाल राम मंदिर का काम 70 फीसदी पूरा हो चुका है. जनवरी 2024 के तीसरे सप्ताह तक, भगवान राम की मूर्ति की स्थापना की जाएगी और उसी दिन से भक्तों के दर्शन और पूजा करने की व्यवस्था की जाएगी।

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रामजन्मभूमि पर निर्मित हो रहे भव्य राम मंदिर के प्रथम तल का लगभग 70 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। पर इससे भी अधिक तेजी से गर्भगृह का निर्माण हो रहा है। मार्च माह में ही गर्भगृह की छत ढालने की योजना है। छत मकराना के श्वेत संगमरमर की गढ़ी शिलाओं के ब्लाक से आकार लेगा। यह वर्गाकार है। छत ढलने के साथ ही गर्भगृह का निर्माण लगभग पूरा हो जाएगा। बस, आगे इसे अवस्थापना सुविधाओं से सज्जित करना शेष रह जाएगा। छत ढलाई के बाद इसमें बिजली, पानी, दरवाजे लगाए जाने का कार्य होगा। अभी हाल में ही इस प्रखंड में चौखट भी लगाई जा चुकी, जिस पर रामलला के दर्शन के पूर्व श्रद्धालु माथा टेकेंगे।

गर्भगृह की दीवारें व खंभे 13 लेयर में निर्मित हो रहे हैं। इसमें से दस लेयर का कार्य हो गया है। शेष लेयर की शिलाओं को लगाए जाने के बाद बीम ढाली जाएगी। यह पत्थरों की होगी। इसी के ऊपर छत ढालने का कार्य होगा। कार्यदायी संस्था से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इसी वर्ष मंदिर के प्रथम तल का निर्माण पूरा हो जाएगा। अगले वर्ष मकर संक्रांति तक रामलला को गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया जाना है। इसके लिए मंदिर परिसर में पंचायतन की पूजा अर्चना प्रारंभ हुई है, जो रामलला के विराजमान होने तक चलेगी। 13 हजार तीन सौ घनफीट श्वेत गढ़े संगमरमर का प्रयोग गर्भगृह में होना है।

गर्भगृह को छोड़ कर मंदिर के प्रथम तल के अन्य प्रखंडों की छत ढलाई का कार्य भी जल्द शुरू होगा। पर इनमें संगमरमर की जगह बंशीपहाड़पुर के गढ़े पत्थरों को प्रयुक्त किया जाएगा। इसकी गढ़ाई रामसेवकपुरम व न्यास कार्यशाला में हो रही है। तैयार पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर में ले जाया जा रहा है।


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