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Maharashtra Political Crisis: शरद पवार ने दि‍या बड़ा बयान- सरकार बचाने के लिए करेंगे सारे प्रयत्‍न, बहुमत का फैसला सदन में होगा

संकट में चल रही महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को बचाने के लिए राकांपा प्रमुख शरद पवार ने भी देर शाम प्रेस से बात करते हुए कहा कि सरकार बचाने के लिए सारे प्रयत्न किए जाएंगे। सदन में बहुमत है कि नहीं इसका फैसला तो विधानसभा में ही होगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 23 Jun 2022 08:49 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jun 2022 11:01 PM (IST)
महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार एवं शिवसेना को टूट से बचाने के लिए राकांपा प्रमुख शरद पवार

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। संकट में चल रही महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार एवं शिवसेना को टूट से बचाने के लिए राकांपा प्रमुख शरद पवार ने भी देर शाम प्रेस से बात करते हुए कहा कि सरकार बचाने के लिए सारे प्रयत्न किए जाएंगे। सदन में बहुमत है कि नहीं, इसका फैसला तो विधानसभा में ही होगा। जब प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा तो यह साबित हो जाएगा कि यह सरकार बहुमत में है। उन्‍होंने कहा कि हमने कई बार महाराष्ट्र में ऐसे हालात देखे हैं। मैं अपने अनुभव से कह सकता हूं कि हम इस संकट को हरा देंगे और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार सुचारू रूप से चलेगी।

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शरद पवार का यह भी भरोसा है कि फिलहाल गुवाहाटी में बैठे शिवसेना के बागी विधायक यदि एक बार मुंबई आ गए तो उन्हें वापस शिवसेना में लाना भी ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। उधर, बागी विधायकों को वापस लाने के लिए शिवसेना नया दांव खेलती दिखाई दे रही है। उसने बागी विधायकों का आह्वान किया है कि यदि वे 24 घंटे के अंदर मुंबई आकर उद्धव ठाकरे के सामने अपनी बात रखते हैं, तो पार्टी एमवीए गठबंधन से बाहर आने पर विचार कर सकती है। दूसरी ओर एमवीए के दूसरे घटक दलों कांग्रेस और राकांपा ने मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे को समर्थन जारी रखने का फैसला किया है।

एकनाथ शिंदे गुट ने बगावत की ठीकरा महाविकास आघाड़ी सरकार पर फोड़ा

शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे गुट की ओर से बुधवार को जारी एक प्रस्ताव एवं उससे पहले शिंदे की ओर से दिए गए बयानों में शिवसेना की दुर्दशा का ठीकरा महाविकास आघाड़ी सरकार पर फोड़ते हुए पार्टी कैडर का सम्मान बचाने के लिए बगावत का रुख करने की बात कही गई थी।

आज शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने प्रेस से बात करते हुए बागी विधायकों का आह्वान किया कि यदि वे 24 घंटे के अंदर मुंबई आकर पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के सामने अपनी बात रखते हैं, तो पार्टी महाविकास आघाड़ी सरकार से बाहर निकलने पर विचार कर सकती है। लेकिन उन्हें सामने आकर बात करनी होगी। मीडिया या इंटरनेट मीडिया के जरिए बात करके काम नहीं चलेगा। राउत के इस बयान के बाद उद्धव सरकार को समर्थन दे रही कांग्रेस और राकांपा की तरफ से भी शिवसेना के इस 'नए दांव' को समर्थन करनेवाली प्रतिक्रियाएं आ गई हैं।

राकांपा ने कि‍या उद्धव को पूरा समर्थन देने का फैसला

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ओर से बोलते हुए उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा है कि आज पार्टी प्रमुख शरद पवार की उपस्थिति में पार्टी विधायकों एवं सांसदों की बैठक में फैसला किया गया है कि इस समय जो परिस्थिति पैदा हुई है, उसमें उनकी पार्टी ने उद्धव को पूरा समर्थन देने का फैसला किया है।

संजय राउत द्वारा अपनी पार्टी को एकजुट रखने के लिए एमवीए से निकलने की मंशा जाहिर करने संबंधी बयान पर अजीत ने कहा कि शिवसेना हमारे गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है। कई बार पार्टी विधायकों के दबाव में कुछ आंतरिक फैसले लेने पड़ते हैं। उन्होंने किस दबाव में ये बात कही है, मुझे नहीं पता। हम उनके पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे से पूछेंगे कि उनके मन में क्या है ? लेकिन हमारे पार्टी प्रमुख शरद पवार का मानना है कि चूंकि हमने और कांग्रेस ने मिलकर शिवसेनानीत उद्धव सरकार बनवाई थी, इसलिए मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे को हमारा समर्थन जारी रहेगा।

कांग्रेस ने कहा, एमवीए सरकार को जारी रहेगा हमारा समर्थन

कांग्रेस की ओर से भी करीब-करीब ऐसा ही बयान सामने आया है। कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री अशोक चह्वाण ने कहा है कि हमने 2019 में भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम के एजेंडे पर महाविकास आघाड़ी सरकार बनाई थी। हम आज भी अपने उस निर्णय पर कायम हैं, और एमवीए सरकार को हमारा समर्थन जारी रहेगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने भी कहा है कि भाजपा शिवसेना को तोड़कर एमवीए सरकार को अस्थिर करना चाहती है। हम इस मसले का हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं। हमारा समर्थन एमवीए सरकार को जारी रहेगा।

कांग्रेस और राकांपा बाहर से दे सकते हैं समर्थन

इस प्रकार संजय राउत का बयान आने के बाद दिया गया कांग्रेस और राकांपा नेताओं का बयान दर्शाता है कि जरूरत पड़ने पर कांग्रेस और राकांपा शिवसेना सरकार को बाहर से भी समर्थन दे सकते हैं। माना जा रहा है कि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस यह नया दांव खेलकर महाराष्ट्र की जनता को संदेश देना चाहते हैं कि शिवसेना महाविकास आघाड़ी से बाहर भी निकलने को तैयार है। ताकि बागी विधायकों का नेतृत्व कर रहे एकनाथ शिंदे पर शिवसेना समर्थक मराठी जनमानस का भी दबाव बनाया जा सके।

एकनाथ शिंदे ने कहा, महाशक्ति के रूप में एक राष्ट्रीय दल हमारे साथ

दूसरी ओर एकनाथ शिंदे की ओर से शिवसेना के 37 विधायकों के अपने साथ होने की बात कही गई है। गुवाहाटी में वह गुरुवार को सामने आए एक वीडियो में बागी विधायकों के सामने यह कहते भी दिखाई दे रहे हैं कि किसी से डरने की जरूरत नहीं है। मैंने जो निर्णय लिया है वह ऐतिहासिक है। महाशक्ति के रूप में एक राष्ट्रीय दल हमारे साथ खड़ा है। हालांकि, भाजपा एकनाथ शिंदे की बगावत से खुद को जोड़ने से अब तक कतराती आ रही है। राकांपा नेता अजीत पवार ने भी आज कहा है कि शिंदे की बगावत में उन्हें भाजपा का कोई हाथ नजर नहीं आता। लेकिन खुद शिंदे का बयान इशारा करता है कि वह इन दिनों पैदा हुई राजनीतिक परिस्थितियों में भाजपा के संपर्क में हैं।


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