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Rajouri Attack: 'मैं नंगे पांव डेढ़ किलोमीटर भागता रहा और आतंकी मेरे पीछे करते रहे फायर', जवान ने राजौरी में हुए हमले की सुनाई आपबीती

जवान लाल हुसैन ने सोमवार रात की पूरी घटना की आपबीती सुनाई। उसने बताया कि आतंकियों ने बंदूक के बल पर उसको अपने साथ ले जाना चाहा। उसने निहत्था होते हुए भी बहादुरी दिखाते हुए आतंकी की राइफल छीनने का प्रयास किया लेकिन असफल रहा। इसके बाद वह वहां से भाग निकला इस दौरान आतंकियों ने उसके भाई को मौत के घात उतार दिया।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Published: Wed, 24 Apr 2024 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2024 06:00 AM (IST)
प्रादेशिक सेना के जवान ने राजौरी में हुए हमले की सुनाई आपबीती

जागरण संवाददाता, राजौरी। जम्मू संभाग के राजौरी जिले में एक घर में घुसे आतंकी छुट्टी पर आए प्रादेशिक सेना के जवान का अपहरण करना चाहते थे। आतंकियों ने बंदूक के बल पर जवान को अपने साथ ले जाना चाहा। मगर निहत्थे जवान ने बहादुरी दिखाते हुए आतंकी की राइफल छीनने का प्रयास किया, लेकिन असफल रहा। इस पर वह भाग निकला, इस दौरान आतंकियों ने उसके भाई को मौत के घात उतार दिया और जवान को भी मारने करीब डेढ़ किलोमीटर फायर करते उसके पीछे भागे। जवान की टांग जख्मी हो गई, लेकिन उसकी जान बच गई। जवान लाल हुसैन ने सोमवार रात की पूरी घटना की आपबीती सुनाई।

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मैं देखते ही समझ गया कि ये सेना के जवान नहीं, आतंकी हैं

लाल हुसैन ने कहा कि मैं और मेरा भाई रज्जाक (जिसे आतंकियों ने मार दिया) राजौरी पहुंचे थे। भाई अपनी सरकारी ड्यूटी पर चला गया और मैं वहीं पर रुक गया। शाम को हम दोनों थन्ना मंडी के कुंडा टाप गांव में अपने घर पहुंचे। खाना खाकर मैंने अपना फोन चार्ज पर लगाया ही था कि हमारे पड़ोस का युवक हमारे घर में आ पहुंचा। वह कहने लगा कि सेना के दो जवान आए हैं, आपको (लाल हुसैन) बाहर बुला रहे हैं। मैंने जैसे ही बाहर देखा तो दो लोग हमारे घर के बाहर खड़े थे और दो नीचे की तरफ। मैं देखते ही समझ गया कि ये सेना के जवान नहीं, आतंकी हैं।

आतंकियों ने पहने थे काले कपड़े

उन्होंने काले कपड़े पहने थे, जैसे सेना के जवान ऑपरेशन के दौरान पहनते हैं। इतने में मेरा भाई रज्जाक बाहर निकल गया और उसने उन्हें कहा कि लाल हुसैन घर पर नहीं है। इसपर आतंकी हमारे घर के अंदर दाखिल हो गए और कहने लगे कि पास के स्कूल में हमारी टुकड़ी आई है और 15 जवानों के लिए खाना चाहिए। मैंने कहा ठीक है, हम खाने का प्रबंध करते है। इतने में एक आतंकी ने मेरे पीछे राइफल रख दी और कहा कि हमारे साथ चुपचाप चलो।

आतंकी से राइफल छीनने का प्रयास किया- जवान

आगे बोला कि मैंने आतंकी से राइफल छीनने का प्रयास किया, इस दौरान एक आतंकी गिर पड़ा और मैं कूद कर घर से बाहर निकल गया। इस बीच आतंकियों ने मेरे भाई रज्जाक को पिस्टल से गोली मार दी। मैं भागता हुआ अपनी बहन के घर के पास पहुंचा तो आतंकियों ने मेरे ऊपर फायर किया। इसी दौरान मेरे भांजे ने भी आतंकियों को धक्का देने का प्रयास किया, लेकिन आतंकियों ने गोलियों की बौछार शुरू कर दी। मेरी चप्पल उतर गई, मैं एक से डेढ़ किलोमीटर तक दौड़ता रहा और दो आतंकी मेरे पीछा करते हुए फायर करते रहे। मैं किसी तरह से शाहदरा शरीफ चौकी पर पहुंचा। वहां पर मैंने पट्टी करवाई और पूरी घटना की जानकारी दी।

मेरे पिता को भी इसी तरह से आतंकियों ने मार दिया था

इसके बाद पुलिस, सेना व अन्य सुरक्षाबल भी मौके पर पहुंचे। मैं भी उसी समय वापस अपने घर पहुंच गया, लेकिन तब तक सब कुछ खत्म हो चुका है। हमारा भाई जिसने हमें पढ़ाया, अपने पांव पर खड़ा किया, वह आज इस दुनिया में नहीं है। मेरे पिता को भी इसी तरह से आतंकियों ने मार दिया था। उसके बाद हमारे इसी भाई ने हमारी हर जरूरत पूरी की और कभी पिता की कसी महसूस नहीं होने दी।

औरंगजेब का भी इसी तरह किया गया था अपहरण

जून, 2018 में आतंकियों ने पुलवामा से ईद की छुट्टी पर घर पुंछ जिला जा रहे सेना के जवान औरंगजेब का भी इसी तरह रास्ते में अपहरण कर लिया था। आतंकियों ने औरंगजेब को कई यातनाएं दी थीं। बाद में औरंगजेब बलिदान हो गए थे। औरंगजेब को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था।


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