डिमांड के बावजूद परवल किसानों को नहीं मिल रहा सही दाम, मुनाफा तो दूर लागत निकालने में छूट रहे पसीने
बिहार के मुंगेर जिले में परवल की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है। परवल की डिमांड दिल्ली यूपी झारखंड और पश्चिम बंगाल के राज्यों में खूब है। व्यापारी पहले से ही किसानों को परवल के लिए अग्रिम राशि देते हैं। लेकिन इस बार ठंड के कारण परवल की लताएं अधिक विकसित नहीं हो पाई जिसकी वजह से किसानों को फायदे की जगह नुकसान उठाना पड़ रहा है।
संवाद सूत्र, हेमजापुर (मुंगेर)। बिहार के मुंगेर जिले में परवल की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है। दियारा क्षेत्र के तीन हजार से ज्यादा एकड़ में खेती होती है। बरियारपुर और धरहरा के चांद टोला साहित अन्य जगहों की परवल की डिमांड दिल्ली, यूपी, झारखंड और पश्चिम बंगाल के राज्यों में खूब है।
व्यापारी पहले से ही किसानों को परवल के लिए अग्रिम राशि देते हैं। लेकिन, इस बार ठंड के कारण परवल की लताएं अधिक विकसित नहीं हो पाई, जिसकी वजह से किसानों को फायदे की जगह नुकसान उठाना पड़ रहा है। बाजार में सही भाव नहीं मिलने के कारण दोनों जगह के किसान चिंतित है।
दरअसल, जिले के बरियापुर, सदर प्रखंड और धरहरा प्रखंड के लगभग दो हजार किसान करीब 15 सौ हेक्टेयर (2900 एकड़) में परवल की खेती करते हैं। हर महीने 10 से 12 हजार क्विंटल यहां परवल की पैदावार होती है।
किसानों का कहना है कि ठंड कम पड़ने से फसल पर असर पड़ रहा है। लताएं अधिक विकसित नहीं हो सकी और इसका सीधा असर खेती पर देखने को मिल रहा है।
बाजार में मिल रहे कम भाव
इस बार भी दूसरे राज्यों के कई व्यापारी आढ़तियों (थोक-विक्रेता)से सपंर्क किया। स्थानी किसानों ने बताया कि परवल की कीमत कभी बाजार में 40 से 45 रुपये प्रति किलो था। अभी 25 से 30 हो गया है। बाजार में व्यापारी के हाथों इस सब्जी को कम कीमतों में बेचा जा रहा है।इस तरह किसानों को मुनाफा तो दूर लागत मूल्य भी निकलना मुश्किल हो रहा है। मुंगेर के हजारों किसानों को इस वर्ष परवल की खेती घाटे का सौदा साबित हो रहा है। एक एकड़ परवल की खेती करने में 15 से 20 हजार रुपये खर्च आता है।
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