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केंद्र के इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार, मांगा सेवाओं के नियंत्रण का अधिकार; अदालत सुनवाई को राजी

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की आप सरकार से कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं को नियंत्रित करने में निर्वाचित व्यवस्था पर एलजी की प्रधानता स्थापित करने के केंद्र सरकार के कानून को चुनौती देने वाली उसकी याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि फिलहाल नौ जजों की पीठ के समक्ष एक मामले की सुनवाई जारी है और वह इस अनुरोध पर विचार करेंगे

By Jagran News Edited By: Pooja Tripathi Published: Sat, 27 Apr 2024 01:51 PM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2024 01:51 PM (IST)
दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार। फाइल फोटो

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली की आप सरकार से कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं को नियंत्रित करने में निर्वाचित व्यवस्था पर एलजी की प्रधानता स्थापित करने के केंद्र सरकार के कानून को चुनौती देने वाली उसकी याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करेगा।

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आप सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ से आग्रह किया कि पूरा प्रशासन ठप हो गया है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि फिलहाल नौ जजों की पीठ के समक्ष एक मामले की सुनवाई जारी है और वह इस अनुरोध पर विचार करेंगे।

वर्तमान में नौ जजों की पीठ कर रही इस मामले की सुनवाई

वर्तमान में चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली नौ जजों की पीठ यह जटिल कानूनी सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है कि क्या निजी संपत्तियों को संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत ‘समुदाय का भौतिक संसाधन’ माना जा सकता है, जोकि राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा है।

शीर्ष कोर्ट ने केंद्र के पिछले साल के उस अध्यादेश को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका को पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ के पास भेजा था, जिसने निर्वाचित व्यवस्था से सेवाओं पर नियंत्रण छीन लिया था।


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