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Parliament Security Case: कोर्ट ने दिए 30 दिन में जांच पूरी करने के आदेश, सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत बढ़ी

दिल्ली पुलिस ने संसद सुरक्षा चूक मामले की जांच पूरी करने के लिए और समय बढ़ाने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया। पुलिस ने जांच पूरी करने के लिए 45 दिन और मांगे थे। दिल्ली पुलिस के विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अखंड प्रताप सिंह ने कहा कि कुछ गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है और कुछ रिपोर्ट आनी बाकी हैं।

By Jagran News Edited By: Sonu Suman Published: Thu, 25 Apr 2024 05:30 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2024 05:30 PM (IST)
Parliament Security Case में कोर्ट ने दिए 30 दिन में जांच पूरी करने के आदेश।

एएनआई, नई दिल्ली। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने गुरुवार को संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में जांच पूरी करने के लिए पुलिस को 30 दिन का और समय दिया। वहीं, कोर्ट ने सभी छह आरोपियों की न्यायिक हिरासत भी 25 मई तक बढ़ा दी गई है। विशेष न्यायाधीश हरदीप कौर ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को जांच पूरी करने के लिए 30 दिन का समय दिया।

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दिल्ली पुलिस ने जांच पूरी करने के लिए और समय बढ़ाने की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया। पुलिस ने जांच पूरी करने के लिए 45 दिन और मांगे थे। दिल्ली पुलिस के विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अखंड प्रताप सिंह ने कहा कि कुछ गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है और कुछ रिपोर्ट आनी बाकी हैं। सुनवाई के दौरान आरोपी मनोरंजन ने कोर्ट की अनुमति से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपनी मां से बातचीत की।

कोर्ट ने पहले भी जांच को 45 दिनों के लिए बढ़ाई थी

मामले में एक अन्य आरोपी नीलम आजाद की ओर से पेश वकील बलजीत मलिक ने जांच की अवधि बढ़ाने का विरोध नहीं किया। इससे पहले 11 मार्च को भी कोर्ट ने जांच की अवधि 45 दिनों के लिए बढ़ा दी थी। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को 25 मई 2024 तक जांच पूरी करने का निर्देश दिया है। वहीं कोर्ट ने सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत को भी 30 दिनों तक बढ़ा दिया। सभी आरोपी कोर्ट में फिजिकली मौजूद थे।

इससे पहले, अदालत ने एक आरोपी नीलम आजाद की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि आवेदक/आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों की प्रकृति और गंभीरता और जांच के प्रारंभिक चरण को देखते हुए मुझे जमानत पर रिहा करना उपयुक्त मामला नहीं लगता है।

आरोपियों पर भारत की अखंडता बाधित करने के आरोप

अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में एफआईआर आईपीसी की धारा 186/353/452/153/34/120बी के साथ यूएपीए की धारा 16/18 के तहत दर्ज की गई है। आवेदक/अभियुक्त के खिलाफ आरोप गंभीर हैं, क्योंकि उस पर अन्य सह-अभियुक्तों के साथ भारत की संप्रभुता और अखंडता को बाधित करने में शामिल होने का आरोप है।

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