बड़ी मात्रा में मांगने के आधार पर सूचना देने से नहीं कर सकते इनकार: दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने माना है कि कोई प्राधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई अधिनियम) के तहत इस आधार पर जानकारी देने से इनकार नहीं कर सकता कि बड़ी मात्रा में जानकारी मांगी गई है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि यदि न्यायालय इस तर्क को स्वीकार करता है तो यह आरटीआई अधिनियम की धारा-आठ के तहत कोई और छूट जोड़ने के समान होगा।
विनीत त्रिपाठी, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने माना है कि कोई प्राधिकारी सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई अधिनियम) के तहत इस आधार पर जानकारी देने से इनकार नहीं कर सकता कि बड़ी मात्रा में जानकारी मांगी गई है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि यदि न्यायालय इस तर्क को स्वीकार करता है, तो यह आरटीआई अधिनियम की धारा-आठ के तहत कोई और छूट जोड़ने के समान होगा। अदालत ने कहा कि प्रतिवादी आरटीआइ आवेदनकर्ता द्वारा मांगी गई जानकारी अधिनियम की धारा-आठ में निहित किसी भी छूट के अंतर्गत नहीं आती है।
अदालत ने नोट किया कि याचिका में प्रतिवादी द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध न कराने का एकमात्र कारण ज्यादा जानकारी मांगना बताया गया। यह भी कहा गया है कि अधिकारियों के लिए प्रतिवादी द्वारा मांगी गई जानकारी प्रदान करना संभव नहीं है। अदालत ने उक्त टिप्पणी करते हुए भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) द्वारा केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
इसमें कमल जीत छिब्बर द्वारा मांगी गई पूरी और स्पष्ट जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया गया था। सीआईसी ने 25 दिसंबर 2015 और 25 जनवरी 2016 को दो आदेश पारित किए गए थे। पहले आदेश में आयोग ने आइआइएफटी को छिब्बर को रिकॉर्ड का निरीक्षण करने की अनुमति देने का आदेश दिया।
हालांकि, जनवरी 2016 के आदेश में आयोग ने संस्थान को उनके द्वारा उठाए गए सभी 27 बिंदुओं पर स्पष्ट जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया। आईआईएफटी ने सीआइसी को बताया कि छिब्बर कई आरटीआई दाखिल करने में लगे हुए हैं और बड़ी मात्रा में जानकारी और दस्तावेजों की मांग कर रहे हैं।संस्थान ने तर्क दिया कि छिब्बर द्वारा मांगी गई जानकारी की मात्रा अधिक है। हालांकि, अदालत ने उक्त तर्कों को खारिज कर दिया।