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बिहार का वह शहर... जहां रेल कारखाना, पर नहीं चलती लंबी दूरी की ट्रेन; वंदे भारत और राजधानी पर टिकी नजर

Madhepura Railway Station मधेपुरा का रेलवे में काफी नाम है। यहां फ्रांस की कंपनी अल्स्टाम व भारतीय रेलवे द्वारा स्थापित रेल इंजन कारखाना का बहुत नाम है। सबसे पावरफुल रेल इंजन इसी कारखाने में तैयार किया जाता है। हालांकि दुर्भाग्य की बात यह है कि यहां अब भी लोग लंबी दूरी की ट्रेन नियमित नहीं चल रही है। यात्री राजधानी और वंदे भारत एक्सप्रेस की आस में हैं।

By Dharmendra Kumar Edited By: Shashank Shekhar Published: Sun, 28 Apr 2024 02:33 PM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2024 02:33 PM (IST)
बिहार का वह शहर... जहां रेल कारखाना, पर नहीं चलती लंबी दूरी की ट्रेन (फोटो- जागरण)

राकेश रंजन, सिंहेश्वर (मधेपुरा)। Madhepura Railway Station मधेपुरा का राजनीतिक क्षेत्र व रेलवे में काफी नाम है। बीपी मंडल, शरद यादव व लालू प्रसाद का चुनाव क्षेत्र होने के कारण पूरे देश में लोग इस लोकसभा क्षेत्र को जानते हैं।

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मधेपुरा में फ्रांस की कंपनी अल्स्टाम व भारतीय रेलवे द्वारा स्थापित मधेपुरा रेल इंजन कारखाना को लेकर भी इसका बहुत नाम है। देश की सबसे पावरफुल रेल इंजन मधेपुरा के इसी कारखाने में बनाया जाता है।

इस रेल इंजन कारखाने ने पूरे वर्ल्ड में भारतीय रेल को नया मुकाम दिलाया है, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि मधेपुरा खुद रेल सेवा में काफी पिछड़ा हुआ है। देश में वंदे भारत ट्रेन की धूम है।

मधेपुरा को दी गई एक हमसफर ट्रेन भी छीन ली गई। मधेपुरा से नियमित एक भी लंबी दूरी की ट्रेन नहीं है। कोलकाता के लिए एक ट्रेन है तो वह भी हफ्ते में मात्र दो दिन मधेपुरा होकर चलती है। मधेपुरा से लंबी दूरी की ट्रेन व कटिहार व सिलिगुड़ी के लिए नई ट्रेन चलाए जाने की मांग काफी पुरानी है।

एक भी बढ़िया ट्रेन का परिचालन नहीं

मधेपुरा से होकर एक भी बढ़िया ट्रेन का परिचालन नहीं है। एक समय मधेपुरा होकर राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन चलाए जाने का वादा किया गया था। अभी देश में अलग अलग रूटों पर वंदे भारत ट्रेन की सौगात मिल रही है, लेकिन कोसी को अब तक यह नहीं मिला है। राजधानी का सपना भी अधूरा ही है।

गुवाहाटी व डिब्रूगढ़ राजधानी को इस रास्ते चलाए जाने की बात कही गई थी। एक दिन को कटिहार खगाड़िया रेलखंड के बीच पटरी के पास बाढ़ का पानी आ जाने के कारण राजधानी को मधेपुरा के रास्ते ले भी गया था। इसके बाद लोगो को यह उम्मीद जगी थी कि कोसी के रास्ते भी राजधानी चल सकेगी, लेकिन अब तक यह सपना भी अधूरा ही है।

एक भी लंबी दूरी की ट्रेन नहीं

मधेपुरा रेलवे स्टेशन से महानगरों के लिए एक भी लंबी दूरी की ट्रेन नहीं है। मधेपुरा स्टेशन से होकर कोलकाता के सियालदह रेलवे स्टेशन तक जाने वाली हाटे बाजारे ट्रेन को मधेपुरा होकर प्रत्येक दिन चलाए जाने की मांग की जा रही है, लेकिन इससे भी पूरा नहीं किया गया है।

हाटे बाजारे के अलावा मधेपुरा से एक भी लंबी दूरी की ट्रेन नहीं चलती है। मधेपुरा रेल इंजन कारखाने के उद्घाटन के दिन कटिहार से मधेपुरा होकर चंपारण हमसफर ट्रेन चलाई गई थी। बाद में उसका रूट बदल दिया गया। अब यह ट्रेन मधेपुरा नहीं आती है।

इंजन रिवर्सल की समस्या से नहीं चल पाती लंबी दूरी की ट्रेन

मधेपुरा से लंबी दूरी की ट्रेन नहीं चल पाने का एक मुख्य कारण सहरसा में इंजन रिवर्सल की समस्या भी है। सहरसा से मधेपुरा आने या फिर मधेपुरा से सहरसा जाने के बाद आगे के सफर के लिए सहरसा में इंजन रिवर्सल करना पड़ता है। यानी दिशा बदली जाती है। इस कारण सहरसा जाकर मधेपुरा आने अथवा मधेपुरा से सहरसा जाकर आगे जाने के लिए आधा घंटा अतिरिक्त लगता है।

लोकल व डेमू भी नहीं चलती पर्याप्त

मधेपुरा से पूर्णिया जाने के लिए भी ट्रेन का अभाव है। दिन के 11:30 के आस-पास जानकी के बाद कोई भी रोज चलने वाली ट्रेन शाम तक नहीं है। इस रेलखंड के लिए भी गिनती की ही ट्रेन है, जो हमेशा खचाखच भरी हुई रहती है। सहरसा-कटिहार रेलखंड में एक्सप्रेस ट्रेन के परिचालन की मांग लंबे समय से की जा रही है, लेकिन अब तक यह मांग पूरी नहीं हो पाई है।

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