भाजपा से पार पाने को सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर ममता बनर्जी, इन कदमों से BJP से मुकाबला करने की अपनाई रणनीति
बंगाल की मुख्यमंत्री व टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी भी पिछले कुछ वर्षों से सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल पड़ी हैं। इसी कड़ी में हाल के वर्षों में उन्होंने कई ऐसे फैसले किए हैं जो यह दिखाता है कि उन्हें हिंदुओं के नाराज होने का डर सता रहा है। मसलन कुछ वर्ष पहले उन्होंने पुजारियों के लिए भत्ते की घोषणा की थी।
इंद्रजीत सिंह, जागरण, कोलकाता। बंगाल की मुख्यमंत्री व टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी भी पिछले कुछ वर्षों से सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चल पड़ी हैं। इसी कड़ी में हाल के वर्षों में उन्होंने कई ऐसे फैसले किए हैं जो यह दिखाता है कि उन्हें हिंदुओं के नाराज होने का डर सता रहा है। मसलन कुछ वर्ष पहले उन्होंने पुजारियों के लिए भत्ते की घोषणा की थी।
इस वर्ष प्रदेश में पहली बार रामनवमी पर सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की। और तो और राज्य में वह कई मंदिरों का निर्माण भी करवा रही हैं। बंगाल में दुर्गा पूजा, काली पूजा, सरस्वती पूजा बड़े त्योहार के रूप में मनाए जाते हैं। इन त्योहारों पर सार्वजनिक अवकाश होता है लेकिन रामनवमी पर बंगाल में अवकाश नहीं होता था। कभी ममता जय श्रीराम के नारे को सुनकर भड़क जाया करती थीं।
टीएमसी नेता शोभायात्रा में नारे लगाते दिखे
बंगाल में कई बार ऐसी घटनाएं हुईं हैं जब ममता को देखकर कुछ लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगा दिए, तो वह काफी नाराज हो गईं थीं, लेकिन इस वर्ष रामनवमी के मौके पर टीएमसी नेता रामनवमी की शोभायात्रा में जय श्रीराम के नारे लगाते दिखे। ममता बनर्जी ने रामनवमी के अवसर पर राज्य के लोगों को शुभकामनाएं भी दीं।
मंदिर बनवा रहीं टीएमसी सुप्रीमो
टीएमसी सुप्रीमो राज्य में समुद्र तटीय पर्यटन स्थल दीघा में पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर विशाल मंदिर का निर्माण करा रहीं हैं, जो अंतिम चरण में है। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने राज्य में कई मंदिरों के जीर्णोद्धार के साथ नए मंदिरों के निर्माण की घोषणा की हैं। इसके अलावा वह राज्य में 40 हजार से अधिक क्लबों को प्रत्येक वर्ष दुर्गा पूजा पर 70 हजार रुपये का अनुदान देती हैं।
ममता की मजबूरी
राजनीतिक विश्लेषक बिश्वनाथ चक्रवर्ती का मानना है कि मौजूदा हालात में सॉफ्ट हिंदुत्व की राह पर चलना ममता की मजबूरी बन गई है। राज्य में भाजपा की पैठ लगातार मजबूत हो रही है। कट्टर हिंदुत्व का मुकाबला करने के लिए उनके पास दूसरा कोई चारा नहीं है। लगातार मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप झेल रहीं ममता को अब लगने लगा है कि हिंदुओं की नाराजगी उनके लिए महंगी पड़ सकती है।
पंचायत चुनाव में गंगा आरती का आयोजन
यही वजह है कि उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान सार्वजनिक रूप से दुर्गा स्त्रोत का पाठकर खुद को कट्टर हिंदू दिखाने की कोशिश की थी। पिछले वर्ष पंचायत चुनाव के दौरान उन्होंने गंगा आरती का भी आयोजन किया था। इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान वह विशेषकर हिंदू वोटों के लिए काफी मुखर हो गईं हैं।