Maharashtra: 26/11 के शहीद राहुल शिंदे के नाम पर होगा गांव का नाम, महाराष्ट्र का सुल्तानपुर अब बना राहुल नगर
महाराष्ट्र के सुल्तानपुर को अब राहुल नगर के नाम से जाना जाएगा। यहां के स्थानीय निवासियों ने आतंकी हमलों के दौरान शहीद हुए राहुल शिंदे की शहादत में इस गांव का नाम उनके नाम पर रखा है। शिंदे सोलापुर जिले की माधा तहसील के सुल्तानपुर के मूल निवासी थे।
मुंबई, पीटीआई : महाराष्ट्र के सुल्तानपुर को अब 'राहुल नगर' के नाम से जाना जाएगा। यहां के स्थानीय निवासियों ने आतंकी हमलों के दौरान शहीद हुए राहुल शिंदे की शहादत में इस गांव का नाम उनके नाम पर रखा है। बता दें कि राहुल शिंदे 2008 में 26/11 के मुंबई हमलों के दौरान आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। राहुल शिंदे 2008 में राज्य रिजर्व पुलिस बल (SRPF) में कांस्टेबल के रूप में काम करते थे।
शिंदे सोलापुर जिले की माधा तहसील के सुल्तानपुर के मूल निवासी थे। वह पहले पुलिसकर्मियों में से एक थे जिन्होंने मुंबई में ताज महल पैलेस होटल में सबसे प्रवेश किया था। भिड़ंत के दौरान शिंदे ने एक आतंकवादी के पेट में गोली भी मारी थी, जिससे उसकी मौत हो गई थी। शहीद राहुल शिंदे को उनके बलिदान के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था।
राहुल शिंदे ने आतंकवादियों से लड़ते हुए साहस दिखाया था
बता दें कि 26/11 हमले की 14वीं बरसी की पूर्व संध्या पर शहीद राहुल शिंदे के पिता सुभाष शिंदे ने कहा कि गांव का नाम बदलने के लिए सभी सरकारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। अब आधिकारिक नामकरण समारोह बाकी है। शिंदे के पिता ने कहा कि मैं चाहता था कि मेरे गांव का नाम मेरे बेटे के नाम पर रखा जाए, जिसके लिए मैं पिछले 10 सालों से सरकार के साथ लगा हुआ हूं। लेकिन अब मैं संतुष्ट हूं, मुझे और कुछ नहीं चाहिए। अब मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं कि मेरे बेटे के नाम पर मेरे गांव का नाम रखा गया है। सुभाष शिंदे कहा कि, मेरे बेटे ने आतंकवादियों से लड़ते हुए साहस दिखाया और देश के लिए बलिदान दिया। मुझे अपने बेटे पर गर्व है।
मां नहीं उबर पाई सदमे से
सुभाष शिंदे के दो और बच्चे हैं - एक बेटा और एक बेटी। वह अब अपने छोटे बेटे के साथ रहते हैं। उन्होंने बताया कि राहुल की मां अभी भी सदमे में हैं। वह अभी तक उस हादसे से उबर नहीं पाई हैं। उसे इस बात का यकीन ही नहीं होता है कि राहुल अब नहीं रहा। उन्होंने बताया कि राहुल के निधन के बाद, सरकार ने हमें वित्तीय सहायता प्रदान की। हमें मुंबई में एक फ्लैट और तालुका स्थान पर एक गैस एजेंसी भी मिली, जिससे परिवार की आजीविका में मदद मिल सके।
सुभाष शिंदे ने 2010 में गांव में राहुल का स्मारक भी बनवाया
उन्होंने कहा कि मुंबई नगर निकाय से परिवार को मिली 10 लाख रुपये की सहायता का इस्तेमाल हमने स्मारक स्थापित करने में किया गया। स्मारक युवा पीढ़ी को प्रेरित करने के लिए है। युवाओं को यह महसूस करना चाहिए कि जब आवश्यकता हो, तो देश के लिए बलिदान देने के लिए तैयार रहना चाहिए।
26/11 मुंबई हमलों के आरोपित कसाब को 2012 में दी गई थी फंसी
मालूम हो कि 26 नवंबर, 2008 को पाकिस्तान से लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादी समुद्री मार्ग से पहुंचे और उन आतंकवादियों ने मुंबई में 60 घंटे के अंदर 18 सुरक्षाकर्मियों, 166 लोगों पर गोलियां बरसाई और कई अन्य लोगों को घायल कर दिया। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ओबेरॉय ट्राइडेंट, ताजमहल होटल, लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल और नरीमन हाउस यहूदी समुदाय केंद्र, जिसे अब नरीमन लाइट हाउस का नाम दिया गया है, आतंकवादियों ने इस स्थानों को टारगेट किया था। बाद में सुरक्षाबलों ने देश के विशिष्ट कमांडो बल एनएसजी सहित नौ आतंकवादियों को मार गिराया। अजमल कसाब इकलौता आतंकी था जिसे जिंदा पकड़ा गया था। चार साल बाद 21 नवंबर 2012 को उन्हें फांसी दे दी गई
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