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पीएम मोदी की कलाई पर भी सज चुकी है गोबर-गोमूत्र से बनी यह राखी, विदेशों में भी बढ़ी मांग

देशी चीजों के इस्तेमाल से बनाई राखी को विदेशों में रहने वाले लोग भी मंगा रहे हैं। इन्हें गोबर गौमूत्र और हल्दी से बनाया गया है। इनकी सजावट भी खूबसूरत तरीके से की गई है। ये किफायती भी हैं। इनकी कीमत दस से तीस के बीच में रखी गई हैं।

By Arijita SenEdited By: Published: Fri, 05 Aug 2022 01:40 PM (IST)Updated: Fri, 05 Aug 2022 01:40 PM (IST)
पीएम मोदी की कलाई पर भी सज चुकी है गोबर-गोमूत्र से बनी यह राखी, विदेशों में भी बढ़ी मांग
गोबर में गौमूत्र और हल्दी को मिलाकर इसे बनाया जा रहा है जिसकी मांग अब काफी बढ़ गई है

अहमदाबाद, जागरण डिजिटल डेस्क। भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है रक्षा बंधन का त्यौहार। भाई-बहन के लिए खास इस त्यौहार को हर साल सावन की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उसके मंगलमय जीवन की कामना करती हैं। इस मौके को और भी खास बनाने की पहल करते हुए गुजरात के जूनागढ़ जिले के कोयली गांव में महिलाएं गाय के गोबर से राखी बना रही हैं।

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इसी गांव में रहने वालीं महिला किसान भावना बेन त्राबड़िया महिलाओं के एक समूह के साथ मिलकर गाय के गोबर से राखियां बना रही हैं। गोबर में गौमूत्र और हल्दी को मिलाकर इसे बनाया जा रहा है जिसकी मांग पहले के मुकाबले अब काफी बढ़ गई है।

भावना का कहना है कि पहले केवल 500 राखियां ही बनाई जाती थीं लेकिन इस बार मांग ज्यादा होने की वजह से 20 हजार राखियां बनाई गई हैं। मांग सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी है।

भावना का कहना है कि गोबर से बनाई जा रहीं इन राखियों के कई फायदे हैं। एक तो ये पर्यावरण के अनुकूल हैं। इसमें मिलाई गई हल्दी एंटीबायोटिक का काम करती है जिससे हमारी त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। इनकी कीमत भी कम है जो दस से 30 रुपये तक है। इससे महिलाओं में एक नए कौशल का विकास हुआ है, उन्हें रोजगार मिल रहा है। महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं जिससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ रहा है।

इन्हें बनाने के लिए पहले गाय के गोबर को सुखाकर उन्हें छान लिया जाता है। इसके बाद उसे आटे की तरह गूंथकर अलग-अलग डिजाइनों के सांचे में डालकर राखी के रूप में तैयार कर लिया जाता है। फिर इनमें रंगों से कलाकारी की जाती है।

मालूम हो कि ये महिलाएं तय समय के अंदर राखियां बनाने के लिए पिछले तीन महीने से काम में जुटी हुई हैं। इन्हें इस काम के लिए साढ़े सात हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं। महिलाओं का यह समूह राज्य सरकार के सहयोग से बना है। इन्हें गुजरात की एक प्रदर्शनी में भी शामिल किया गया था। इस दौरान ये लोगों को इतने पसंद आए कि इसके लिए फटाफट ऑर्डर आने शुरू हो गए।

प्रदर्शनी में आए अमेरिका के कुछ लोगों को भी ये राखियां खूब पसंद आईं जिसके बाद वहां के एक एनजीओ ने सात हजार राखियों के ऑर्डर दिए और इसके लिए पूरे 893 डाॅलर भेजे गए। इन राखियों की इतनी चर्चा है कि पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विजय रुपाणी जैसे कई नामी-गिरामी हस्तियों को ये राखी भेजे गए थे।


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