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तालिबान से शांति वार्ता में आई रुकावट के लिए पाकिस्‍तान नहीं लेगा कोई जिम्‍मेदारी, कुरैशी ने अफगानिस्‍तान नेतृत्‍व पर उठाए सवाल

अफगानिस्‍तान के विदेश मंत्री ने तालिबान से शांति वार्ता में आई रुकावट के लिए सीधेतौर पर वहां के नेतृत्‍व को ही जिम्‍मेदार ठहराया है। उन्‍होंने कहा है कि पाकिस्‍तान इसके लिए किसी भी तरह की कोई जिम्‍मेदारी नहीं लेगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 08:17 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 02:49 PM (IST)
पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी

इस्‍लामाबाद (एएफपी)। अफगानिस्‍तान शांति वार्ता में आई रुकावट और बढ़ते तालिबानी हमलों के मद्देनजर पाकिस्‍तान ने ये साफ कर दिया है कि वो किसी भी तरह की कोई जिम्‍मेदारी इसके लिए नहीं लेगा। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पाक-अफगान डायलॉग के दौरान वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि पाकिस्‍तान पर अफगानिस्‍तान में शांति वार्ता में बाधा पहुंचाने या उसको खराब करने का आरोप लगाएगा तो पाकिस्‍तान कभी इसकी जिम्‍मेदारी नहीं लेगा।

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आपको बता दें कि अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति अशरफ गनी जल्‍द ही अमेरिका के दौरे पर जाने वाले हैं। इस दौरे में उनके साथ उनके करीबी लोग शामिल होंगे। ये वार्ता अफगानिस्‍तान शांति वार्ता के लिए काफी अहम मानी जा रही है। इस वार्ता से पहले ही कुरैशी ने राष्‍ट्रपति गनी को इस दौरे की शुभकामनाएं देते हुए ये भी कहा कि वो इस बात को पहले ही बता देना चाहते हैं कि यदि इस वार्ता के दौरान अमेरिका ने पूरी प्रक्रिया के लिए पाकिस्‍तान को दोषी ठहराया या उस पर इसकी जिम्‍मेदारी थोपने की कोशिश की तो पाकिस्‍तान किसी भी तरह की कोई मदद नहीं करेगा।

उन्‍होंने कहा कि इसकी जिम्‍मेदारी हम सभी की है। इसमें यदि कुछ भी गलत होता है तो इसके लिए सिर्फ पाकिस्‍तान को जिम्‍मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। हम कोई जिम्‍मेदारी इसके लिए नहीं लेंगे। पाक-अफगान डॉयलॉग में उन्‍होंने कहा कि अफगान शांति वार्ता के लिए पाकिस्‍तान पूरी तरह से ईमानदार और गंभीर है। अब पाकिस्‍तान पर आरोप लगाने बंद होने चाहिए, ये बहुत हो चुका है।

पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री ने इस संवाद में अफगान शांति वार्ता के टूटने या रुकने का ठीकरा इशारों ही इशारों में अफगानिस्‍तान पर ही फोड़ दिया है। उनका कहना है कि अफगानिस्‍तान को ये तय करना था कि वो कैसे देश को आगे ले जा सकते हैं इसके लिए उसको ही लोगों का चयन भी करना था। अफगानिस्‍तान को एक ऐसे नेतृत्‍व की जरूरत है जो तालिबान से सफलतापूर्वक बात कर उसे किसी अंजाम तक ले जा सके और देश में शांति बहाल कर सके, न कि सत्‍ता में बने रहने के लिए चिंतित होता रहे।

कुरैशी ने कहा कि पाकिस्‍तान अफगानिस्‍तान का सहयोगी बनना चाहता है और साथ ही वो अमेरिका के साथ आतंकवाद के खिलाफ सहयोग भी देना चाहता है, लेकिन इसकी कीमत पाकिस्‍तान ने अपने जवानों को खोकर, मस्जिदों में हुए बम धमाकों और पाकिस्‍तान की लगातार गिरती अर्थव्‍यस्‍था से चुकानी पड़ी है। उनके मुताबिक वो पाकिस्‍तान के एक चुने गए नुमाइंदे हैं और वो पाकिस्‍तान में तालिबानीकरण को नहीं देखना चाहते हैं। इससे ज्‍यादा और क्‍या कहा जा सकता है। इस मौके पर उन्‍होंने साफ कर दिया कि पाकिस्‍तान अफगानिस्‍तान के अंदरूणी मामलों में दखल नहीं देगा। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान किसी का भी पसंदीदा नहीं है। हर जगह एक धारणा ये बनी हुई है कि पाकिस्‍तान तालिबान को समर्थन देता है लेकिन वो खुद उसके नुमांइदे नहीं हैं। वो पाकिस्‍तान के नुमांइदे हैं।


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