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जानें, सऊदी में सदियों से चला आ रहा कौन सा नियम हुआ ध्‍वस्‍त, आधी आबादी ने ली चैन की सांस

इस ऐतिहासिक सुधार के बाद वह पुरानी संरक्षण प्रणाली समाप्‍त हो गई जिसके तहत कानूनन महिलाओं को स्‍थाई रूप से नाबालिग समझा जाता है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 10:03 AM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 12:27 PM (IST)
जानें, सऊदी में सदियों से चला आ रहा कौन सा नियम हुआ ध्‍वस्‍त, आधी आबादी ने ली चैन की सांस
जानें, सऊदी में सदियों से चला आ रहा कौन सा नियम हुआ ध्‍वस्‍त, आधी आबादी ने ली चैन की सांस

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। सऊदी अरब की महिलाओं के लिए आज का दिन बेहद खास है। अब इस देश की महिलाएं किसी संरक्षक की अनुमति के बिना विदेश यात्राओं पर निकल सकेंगी। इस ऐतिहासिक सुधार के बाद वह पुरानी संरक्षण प्रणाली समाप्‍त हो गई, जिसके तहत कानूनन महिलाओं को स्‍थाई रूप से नाबालिग समझा जाता है। उनके सरंक्षकों यानी पति, पिता और अन्‍य पुरुष संबंधियों को उन पर मनमाना अधिकार प्रदान करती थी। ये दशक सऊदी अरब की महिलाओं के लिए महत्‍वपूर्ण रहा है। आइए हम आपको बताते हैं‍ कि किन वजहाें से विगत के दस वर्ष सऊदी महिलाओं के लिए खास रहा।

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क्‍या है नया कानून  
इस नियम के मुताबिक अब 21 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को पासपोर्ट हासिल करने और अभिभावक की सहमति हासिल किए बिना देश छोड़ने की इजाजत होगी। यह जानकारी सरकारी गजट उम्‍म उल कुरा में प्रकाशित की गई थी। हालांकि, अखबार ने यह नहीं बताया था कि उसे यह जानकारी कहां से हासिल हुई है। पुराने कानून के मुताबिक सऊदी अरब में किसी भी उम्र की महिला बिना किसी पुरुष संरक्षक के विदेश यात्रा पर नहीं जा सकती है। यह नियम 21 वर्ष के कम उम्र के पुरुषों के साथ भी लागू है। 

क्‍या था पुराना नियम 
इस फैसले के पूर्व सऊदी महिलाओं को अकेले विदेश यात्रा करने की इजाजत नहीं थी। हालांकि, इस नियम की पिछले वर्ष विश्‍व जगत में काफी निंदा हुई थी। इसके बाद सऊदी सरकार ने महिलाओं के हक में यह सुधारात्‍मक कदम उठाया है। एक अगस्‍त को सऊदी अरब सरकार ने कहा था कि महिलाअों को किसी संरक्षक की इजाजत के बिना विदेश यात्रा पर जा सकेंगी। इस घोषणा के 20 दिन बाद 21 अगस्‍त को यह नियम अमल में आ गया।


शरणार्थियों की संख्‍या से बना दबाव
खास बात यह है कि सऊदी अरब अपने नागरिकों की विदेश यात्रा पर पाबंदियों में ढील देने का यह प्रस्‍ताव उस समय लाया है, जब उनके देश में शरणार्थियों की संख्‍या में लगातार इजाफा हो रहा है। सात वर्षों में सऊदी में शरणार्थियों की संख्‍या चौगुनी हो गई है। सऊदी शरणार्थियों में पुरुष और महिलाएं दोनों शामिल हैं। इससे यह जाहिर होता है कि सऊदी में अरब नागरिकों में उन्‍मुक्‍त जीवन जीने की लालसा निरंतर बढ़ रही है।

सऊदी महिलाओं के लिए खास रहा ये दशक 

  • सऊदी महिलाओं की आजादी के मामले में यह दशक अत्‍यधिक महत्‍वपूर्ण है। अगर इस दशक पर हम नजर दौड़ाएं तो वर्ष 2012 में सऊदी महिलाओं को खेलों में हिस्‍सा लेने का हक मिला। पहली बार सऊदी महिला ओलिंपिक खेलों में शामिल हुईं। अतंरराष्‍ट्रीय खेलों में पहली बार सऊदी का प्रतिनिधित्‍व देखने को मिला।
  • दिसंबर 2015 में महिलाओं को वोट डालने का अधिकार हासिल हुआ। इसके पूर्व उनको इस अधिकार से वंचित रखा गया था।
  • वर्ष 2017 में सऊदी महिलाओं को पासपोर्ट दिए जाने के सारे बंधन हटा दिए गए। उन्‍हें स्‍वतंत्र पासपोर्ट दिया जाने लगा।
  • वर्ष 2018 में महिलाओं को स्‍टेडियम में प्रवेश की अनुमति हासिल हुई। इसी वर्ष महिलाओं को सेना में भर्ती की अनुमति प्रदान की गई। इसके साथ उन्‍हें स्‍वतंत्र कारोबार की इजाजत भी मिली।      

   


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