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ट्रंप का एक साल: बढ़ती चुनौतियां, कहीं प्रशंसा तो कभी अपने ही देश में घिरे

ट्रंप की छवि आतंकवाद विरोधी एक सख्त नेता के रूप में उभर कर सामने आई। इस दौरान उन्होंने कई बड़े फैसले लिए

By Srishti VermaEdited By: Published: Fri, 10 Nov 2017 11:54 AM (IST)Updated: Fri, 10 Nov 2017 05:09 PM (IST)
ट्रंप का एक साल: बढ़ती चुनौतियां, कहीं प्रशंसा तो कभी अपने ही देश में घिरे
ट्रंप का एक साल: बढ़ती चुनौतियां, कहीं प्रशंसा तो कभी अपने ही देश में घिरे

नई दिल्ली (जेएनएन)। इन दिनों एशियाई देशों का महत्वपूर्ण दौरा कर रहे डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने का एक साल पूरा हो गया। आठ-नौ नवंबर 2016 को उन्होंने काफी तीव्रता से लड़ा गया राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता था। हालांकि उन्होंने औपचारिक रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में कामकाज 20 जनवरी 2017 से शुरू किया था। ट्रंप की छवि आतंकवाद विरोधी एक सख्त नेता के रूप में उभर कर सामने आई। इस दौरान उन्होंने कई बड़े फैसले लिए, जिनमें से कुछ की दुनियाभर में प्रशंसा हुई तो कुछ में वह अपने देश में ही घिरे नजर आए। अमेरिका और दुनिया के परिप्रेक्ष्य में उनका एक वर्ष का कार्यकाल कैसा रहा, उस पर एक नजर।

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ट्विटर से कनेक्शन
1. आठ नवंबर 2016 के बाद से ट्रंप ने करीब 2,400 ट्वीट किए। यानी हर रोज सात ट्वीट।
2. इस दौरान ग्रेट शब्द का प्रयोग सबसे ज्यादा 456 बार, फेक न्यूज/मीडिया 167, जॉब्स 94 और ओबामाकेयर का उल्लेख 77 बार किया।

ट्रंप की दौलत
1. फोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक, वर्ष 2016 से सितंबर 2017 के दरमियान ट्रंप की दौलत में 60 करोड़ डॉलर की गिरावट आई है।
2. वह अमेरिका के सबसे अमीर लोगों की सूची में 92 पायदान नीचे खिसके हैं।
3. इस गिरावट का मुख्य कारण महंगा चुनाव अभियान और रियल स्टेट बाजार में कठिनाई रही।

अमेरिका के परिप्रेक्ष्य में : क्या कहते हैं आंकड़े

1. अर्थव्यवस्था : अमेरिका की अर्थव्यवस्था की विकास दर 2017 की दूसरी तिमाही में 2.6 फीसद रही, जबकि ट्रंप ने लक्ष्य तीन फीसद रखा था।

2. बेरोजगारी की दर : जुलाई में यह 4.3 फीसद रही, जोकि 2001 के बाद से अपने न्यूनतम स्तर पर है।

3. पर्यटन : अमेरिका में विदेशी सैलानियों की संख्या में 43 लाख की गिरावट आई है, जिसके परिणामस्वरूप राजस्व को करीब 7.4 अरब डॉलर का घाटा हुआ है।

4. आतंकी हमले और मास शूटिंग : एक अक्टूबर को लॉस वेगास में हुई गोलीबारी को मिलाकर ऐसे 362 मामले सामने आए। यानी हर रोज एक मामला। ये अमेरिकी इतिहास का सबसे बुरा आंकड़ा है। इसमें 31 अक्टूबर को न्यूयॉर्क में वैन से हुआ हमला भी शामिल है।

फैसले जो चर्चा में रहे

1.एच-1बी वीजा : ट्रंप ने एच-1बी वीजा कार्यक्रम की समीक्षा के एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि इस वीजा का प्रयोग कभी भी अमेरिकी कर्मचारियों को प्रतिस्थापित करने के लिए नहीं होना चाहिए। इसका असर भारत पर भी पड़ा, क्योंकि बहुत से भारतीय अमेरिका में नौकरी की तलाश में जाते हैं।

2. सेना में ट्रांसजेंडरों की भर्ती पर रोक : ट्रंप ने ट्रांसजेंडर लोगों को सेना में शामिल करने पर रोक लगा दी। इस बारे में उन्होंने कहा, हमारी सेना को निर्णायक और बड़ी जीत पर ध्यान देना चाहिए। उस पर ट्रांसजेंडरों की वजह से आने वाली चिकित्सा लागत और परेशानियों का बोझ नहीं डाला जा सकता। एक अनुमान के मुताबिक 13 लाख सक्रिय सदस्यों वाली अमेरिकी सेना में ट्रांसजेंडर कर्मचारियों की संख्या 2,500 से 7,000 के बीच है। एक अदालत ने इस फैसले पर रोक लगाते हुए ट्रंप को झटका दिया।

3. मुस्लिम देशों के यात्रियों पर रोक : ट्रंप द्वारा सात मुस्लिम बहुल देशों के यात्रियों और प्रवासियों पर प्रतिबंध लगाया गया। इसकी उनके देश सहित पूरी दुनिया में चौतरफा आलोचना हुई। उनके इस फैसले को
अदालत में चुनौती दी गई, जिसके बाद अदालत ने इस फैसले पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी।

4. पेरिस जलवायु समझौता : ट्रंप ने 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते से बाहर निकलने की घोषणा की। इसकी पीछे उन्होंने तर्क दिया कि पेरिस समझौते में अमेरिकी हितों के लिए एक उचित समझौता हो।

यादगार मुलाकात
जून के आखिर में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रंप के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए व्हाइट हाउस पहुंचे। यहां खुद अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी पत्नी मेलानिया ने मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, मेरा स्वागत भारत के 125 करोड़ नागरिकों का स्वागत है।

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