पार्किसन के खतरे से 10 साल पहले आगाह कर देगी श्वास जांच
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में यह भी पाया कि बुढ़ापे में सूंघने की खराब क्षमता वाली महिलाओं की तुलना में पुरुषों में पार्किंसन का खतरा अधिक था।
वाशिंगटन (प्रेट्र)। एक आसान सी श्वास जांच पार्किंसन रोग (शरीर में हमेशा कंपन होते रहने की बीमारी) के खतरे के बारे में 10 साल पहले ही आगाह कर सकती है। यह बात एक अध्ययन में सामने आई है, जिसमें पाया गया कि सूंघने की खराब क्षमता वाले लोग इस बीमारी से पांच गुना अधिक ग्रसित पाए गए। शोधकर्ताओं ने अध्ययन में यह भी पाया कि बुढ़ापे में सूंघने की खराब क्षमता वाली महिलाओं की तुलना में पुरुषों में पार्किंसन का खतरा अधिक था। अमेरिका की विख्यात मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के विज्ञानी हंगली चेन के मुताबिक, हमने अपने अध्ययन में औसतन 10 साल तक गोरे और काले दोनों लोगों पर अध्ययन किया। पूर्व में हुए बाकी अध्ययनों से यह बहुत लंबा अध्ययन था। इसमें सामने आया कि छह वर्ष तक सूंघने की क्षमता और इस बीमारी का गहरा संबंध था। हालांकि इसके बाद भी इनका संबंध रहा, लेकिन वो उतना मजबूत नहीं रहा।
पूर्व के अध्ययनों से अलग मिले परिणाम
चेन के मुताबिक, पूर्व के अध्ययनों से पता चला था कि काले लोगों में गोरों की तुलना में सूंघने की क्षमता खराब होती है और इसी वजह से उनमें पार्किंसन का खतरा अधिक होता है। वहीं, नवीन अध्ययन में सामने आया कि दोनों में ही यह समान रूप से हो सकता है।
इस तरह किया अध्ययन
अध्ययन में 1,510 गोरों और 952 काले प्रतिभागियों को शामिल किया, जिनकी औसत उम्र 75 वर्ष थी। इन्हें 12 गंध सुंघाई गईं, जिससे ज्यादातर लोग परिचित होते हैं। जैसे दालचीनी, नींबू, पेट्रोल, साबुन, प्याज आदि। सही जवाब देने के लिए उन्हें चार विकल्प दिए गए। इनके अंकों के आधार पर इन्हें सूंघने की खराब क्षमता, मध्यम क्षमता और अच्छी क्षमता वाले तीन समूहों में बांट दिया गया। इसके बाद शोधकर्ता एक दशक तक फोन व क्लीनिकल जांचों के जरिए उनसे संपर्क में रहे।
यह परिणाम आए सामने
10 वर्ष के बाद 42 लोग पार्किंसन से ग्रसित पाए गए, जिनमें 30 गोरे और 12 काले लोग थे। वहीं, सूंघने की खराब क्षमता वालों में पांच गुना ज्यादा यह बीमारी देखी गई। खराब सूंघने की क्षमता रखने वाले 764 में 26 लोग, जबकि अच्छी क्षमता रखने वाले 835 लोगों में केवल सात लोग इस बीमारी से ग्रसित हुए। वहीं, मध्यम क्षमता रखने वाले 863 में नौ लोगों में यह बीमारी पाई गई।
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