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सिल्वर स्क्रीन पर भी छाई नारी

जब हिंदी फिल्म उद्योग की बात आती है तो अतीत से लेकर वर्तमान में कई महिला केंद्रित फिल्में बनी हैं जो अब तक दर्शकों के दिलों पर छायी हुयीं हैं। वर्तमान की बात करें तो महिला केंद्रित फिल्मों की ढेर लगी है। चलिए हम बात करते हैं पिछले दस सालों की जिसमें दर्शकों को खूबसूरत महिला केंद्रित फिल्मों का उपह

By Edited By: Published: Fri, 08 Mar 2013 01:36 PM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2013 04:33 PM (IST)
सिल्वर स्क्रीन पर भी छाई नारी

नई दिल्ली। जब हिंदी फिल्म उद्योग की बात आती है तो अतीत से लेकर वर्तमान में कई महिला केंद्रित फिल्में बनी हैं जो अब तक दर्शकों के दिलों पर छायी हुयीं हैं। वर्तमान की बात करें तो महिला केंद्रित फिल्मों की ढेर लगी है। चलिए हम बात करते हैं पिछले दस सालों की जिसमें दर्शकों को खूबसूरत महिला केंद्रित फिल्मों का उपहार मिला है।

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मातृभूमि [2003]- आप स्त्री बगैर किसी दुनिया की कल्पना कर सकते हैं? पर मनीष झा ने इस कड़वे हकीकत से समाज को अवगत कराया। मातृभूमि - ए नेशन विदाउट वुमन मनीष झा की 2005 में रिलीज, इस मायने में एक महत्वपूर्ण फिल्म है कि यह कन्या हत्या की इस समस्या को गहरे असर के साथ दर्शक के मन में उतार देती है। इस फिल्म में लड़की के पैदा होने पर उसे दूध के तपेले में डुबो कर मार दिया जाता है। इसमें प्रमुख किरदार ट्यूलिप जोशी ने निभाया है। इस फिल्म और इसकी थीम को दर्शकों ने काफी सराहा।

चमेली [2004]- यह कहानी एक सेक्स वर्कर और बैंकर की है। इसमें तुच्छ समझी जाने वाली सेक्स वर्कर की संवेदनाओं को बड़े मार्मिक तरीके से दिखाया गया है। करीना कपूर के खूबसूरत अभिनय और बोल्ड अंदाज व बैंकर की भूमिका में राहुल बोस के अभिनय के साथ सुधीर मिश्रा ने दर्शकों के लिए अलग थीम की फिल्म दी। जिसे हमेशा याद रखा जाएगा।

परिणीता [2005]- परिणीता का मतलब है विवाहित महिला। सुधीर मिश्रा निर्देशित फिल्म परिणीता के लीड रोल में विद्या बालन ने इस फिल्म को जीवंत बनाया। इस फिल्म को दर्शकों ने खूब सराहा और इसे कई अवार्ड भी मिले।

डोर [2006]- यह फिल्म दो भिन्न तबके की दो महिलाओं पर आधारित है जो एक दूसरे से अंजान होते हुए भी होनी के एक डोर से बंधी हुई है। इस संबंध में एक की वीरान जिंदगी दूसरे को उजड़ने से बचा सकती है पर बीच में काफी फासले हैं। यह फिल्म महिला सशक्तिकरण का बेहतर उदाहरण है। गुल पनाग और आयशा टाकिया ने मुख्य किरदार को अपने अभिनय से जीवंत बना दिया है।

चक दे इंडिया [2007]- यह एक स्पोर्ट्स ड्रामा फिल्म है। इसमें महिला हॉकी टीम की स्थितियों का बखूबी चित्रण किया गया है। अच्छी खिलाड़ी होते हुए भी किन मुश्किलों ने इन्हें पीछे कर रखा है इस सब को फिल्म में बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया है।

फैशन [2008]- रैंप पर चलने वाली खूबसूरत और सेक्सी फिगर वाली मॉडल्स की जिंदगी की तल्ख सच्चाई बयां करती यह फिल्म दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ गयी। इस फिल्म को दो नेशनल अवार्ड भी प्राप्त हुए। ये दोनों ही सम्मान इस फिल्म की अभिनेत्रियों प्रियंका चोपड़ा और कंगना रानौत को मिला।

इश्किया [2010]- इस फिल्म में विद्या बालन की भूमिका काफी सशक्त है। नसीरुद्दीन शाह और अरसद वारसी के साथ उन्होंने इस फिल्म से दर्शकों के दिल पर अमिट छाप छोड़ी है।

नो वन किल्ड जेसिका [2011]- जेसिका लाल की अनसुलझी हत्याकांड पर आधारित है यह फिल्म। इसमें दो मजबूत महिलाओं की जिंदगी का चित्रण है। इस फिल्म में मुखर्जी ने निडर पत्रकार की भूमिका निभायी है और विद्या बालन ने जेसिका लाल की बहन का किरदार काफी खूबसूरती से निभाया है। इस फिल्म को काफी सराहा गया।

द डर्टी पिक्चर [2011]- मिलन लूथरिया निर्देशित फिल्म द डर्टी पिक्चर दक्षिण की अभिनेत्री सिल्क स्मिता की जिंदगी पर आधारित है। इस फिल्म में विद्या बालन के बोल्ड अंदाज ने किरदार को जीवंत बना दिया। इसके लिए उन्हें अवार्ड भी दिए गए।

इंग्लिश विंग्लिश [2012]- पंद्रह वर्षो के बाद बड़े पर्दे पर वापस आयीं खूबसूरत और मशहूर अभिनेत्री श्रीदेवी ने इस फिल्म से यह दिखा दिया कि अब भी वह एक्टिंग कर सकती हैं। यह फिल्म भी महिलाओं की सशक्तिकरण का खूबसूरत उदाहरण है।

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