उमाशंकर ने पिछड़े वर्ग की आवाज को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया
- वर्ष 2015 में राज्यपाल कर चुके हैं सम्मानित - कटे पैर से प्रतिदिन 15-20 किमी.स्कूटी चलाकर दिव्य
- वर्ष 2015 में राज्यपाल कर चुके हैं सम्मानित
- कटे पैर से प्रतिदिन 15-20 किमी.स्कूटी चलाकर दिव्यांगों के लिए करते हैं काम
संवाद सूत्र, चामुर्ची: आर्थिक तंगी व शारीरिक कमजोरी के बावजूद समाज में वंचित दिव्यांग व पिछड़े वर्ग के विकास और हक दिलाने के लिए रियाबाड़ी चाय बागान के दिव्यांग युवक उमाशंकर लगातार प्रयासरत हैं। महज 16 वर्ष की उम्र में ही चाय बागान के मशीन में उसका दांया पैर कट गया था। लेकिन इसके बाद भी उसने हार नहीं मानी। एक ही पैर के सहारे समाज के हर वर्ग के लिए कार्य करते आ रहे हैं। इलाके में उमाशंकर अन्य लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। निस्वार्थ भाव से कार्य के लिए वर्ष 2015 में तत्कालीन राज्यपाल ने उन्हें राज्य पुरस्कार से सम्मानित भी किया था। हाल के दिनों में बिहार के नरकटियागंज में गांधी सत्याग्रह में राष्ट्रीय युवा सम्मेलन में हिस्सा लेकर समाज के पिछड़े वर्ग की आवाज राष्ट्रीय स्तर पर रखने का प्रयास किया। दिल्ली के जंतर-मंतर में हुए गौहत्या प्रतिवाद कार्यक्रम में भी उन्होंने महत्वपूर्ण रोल अदा की।
उमाशंकर ने बताया कि वह उत्तर बंगाल के चाय बागान के लोगों के हित को ध्यान में रखकर कार्य कर रहे हैं। बीते कई वर्षो से राज्य प्रतिबंधित सम्मेलन, सीनी, सबला ग्रुप समेत विभिन्न संस्थाओं के जरिए समाज उत्थान व शिक्षा संबंधी समस्याओं पर भी आवाज बुलंद कर चुके हैं। युवा वर्ग को रोजगार दिलाने के लिए भी मुहिम चलाई गयी। चाय बागानों में सामाजिक कुरीतियों, दिव्यांगों को भत्ता, इंदिरा आवास दिलाने को लेकर भी ब्लॉक से लेकर राज्य स्तर पर कार्य कर चुके हैं।
उमाशंकर ने बताया कि वह प्रतिदिन एक पैर के जरिए 15-20 किलोमीटर स्कूटी चलाकर दिव्यांगों के समस्या को लेकर कार्य करते हैं। लोगों की सेवा करना ही उनका सबसे बड़ा लक्ष्य है।