नतीजे के सात दिन बादी भी नपा बोर्ड के नेता का नहीं हुआ चयन
संवाद सूत्र, रायगंज : चुनाव नतीजे आने के सात दिन बाद भी नगरपालिका बोर्ड के नेता का चुनाव नहीं हो पाय
संवाद सूत्र, रायगंज : चुनाव नतीजे आने के सात दिन बाद भी नगरपालिका बोर्ड के नेता का चुनाव नहीं हो पाया। यह मामला इतना कठित हो गया कि इसके समाधान की जिम्मेदारी तृणमूल सुप्रीमो व प्रदेश के मुख्यमंत्री के पाले में डाल दिया गया। पार्टी आलाकामान ममता बनर्जी के लिए भी यह काम शायद मुश्किल लग रहा है। नपाध्यक्ष पद के दावेदार फिलहाल कोलकाता दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। सनद रहे कि रायगंज नपा चुनाव के नतीजे 17 मई को आए जिसमें सात्तारूढ़ दल तृकां को 27 में से 24 सीटें मिली। कांग्रेस को दो व भाजपा को एक सीट पर ही संतोष करना पड़ा। कांग्रेस के विजयी दोनों पार्षदों ने भी तृणमूल के साथ जाने की मंशा जाहिर कर चुके हैं। ऐसे में विरोधी दल की ओर से कोई भी अड़चने नहीं रही, लेकिन पार्टी के अंदर ही गुटबाजी शुरू हो गई है। नपाध्यक्ष पद के लिए चार लोग इस दौर में है। तृणमूल कांग्रेस समर्थन वाले श्रमिक संगठन के जिलाध्यक्ष अरिंदम सरकार अपनी दावेदारी प्रबल मान रहे हैं। वहीं चार बार के लगातार पार्षद रही केया चौधरी भी काफी मजबूती से अपनी दक्षता का प्रमाण पेश की है। केया चौधरी लंबे अर्से तक महिला संगठन के जिला नेत्री का पद संभाल चुकी है, साथ ही ममता बनर्जी की करीबी मानी जाती है। इसके अलावा विशिष्ट उद्योगपति दीनदयाल कल्याणी भी इस दौर पर हैं। इसके पहले भी वाममोर्चा के समय में इस पद को कुशलता के साथ संभाल चुके हैं। हाल ही में ये कांग्रेस से तृणमूल में शामिल हुए। सत्तासीन कई मंत्री एवं प्रदेश के शीर्ष स्तरीय नेतृत्व से इनका गहरा रिश्ता भी जाहिर है। इनके अतिरिक्त संदीप विश्वास का नाम चर्चा में है, जिन्हें चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस से तृणमूल में शामिल किया गया। वह कांग्रेस के जिला महासचिव भी थे। रायगंज में वह सबसे जनप्रिय व कद्दावर नेता के रूप में माने जाते हैं। ऐसी विकट स्थिति में तृणमूल के जिलाध्यक्ष अमल आचार्य को भी यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। उन्होंने स्वयं इस बात की संभावना की पुष्टि की है। वह फिलहाल नपा के प्रशासक भी हैं। उन्होंने बताया कि पार्टी सुप्रीमो नपा की बागडोर जिसे सौंपेंगे वही अंतिम निर्णय होगा। यदि उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो वे इसके लिए तैयार हैं।