ऋण का बढ़ता बोझ
पश्चिम बंगाल की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ममता सरकार जनवरी के शुरुआती 25 दिनों में 2500 करोड़ रुपये का ऋण ले चुकी है।
पश्चिम बंगाल की आर्थिक स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ममता सरकार जनवरी के शुरुआती 25 दिनों में 2500 करोड़ रुपये का ऋण ले चुकी है। यदि वित्त वर्ष 2015-16 के दस माह की बात करें तो ऋण की राशि 15800 करोड़ रुपये है। मुख्यमंत्री बनने के बाद से ममता बनर्जी सैकड़ों बार राज्य की आर्थिक बदहाली व ऋण के बोझ को लेकर पूर्व वामपंथी सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को कोस चुकी हैं। उन्होंने आरोप लगाया था कि पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार खजाना खाली कर गई है। साथ ही सिर पर दो लाख करोड़ रुपये के ऋण का बोझ लाद गई है, जिसका ब्याज चुकाने में ही राजस्व का बड़ा हिस्सा चला जा रहा है। ममता आरोप लगाती आ रही हैं कि बिना बताए केंद्र सरकार ऋण के ब्याज की राशि काट ले रही है। वहीं दूसरी ओर दोनों हाथों से क्लबों को अनुदान, मेला, उत्सव पर शाही खर्च, साइकिल वितरण से लेकर इमाम और मोअज्जिनों को भत्ता के बाद अब प्राथमिक स्कूलों की कक्षा चार तक के बच्चों को जूता के लिए 154 करोड़ का आवंटन जारी रहा। सरकार को पता है कि आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक है। निवेश की स्थिति भी बेहतर नहीं हुई है, जिससे कि राज्य सरकार के खजाने में राजस्व बढ़ सके। ऐसी स्थिति में सरकार के पास ऋण लेने के अलावा कोई चारा भी नहीं है। 1यहां विरोधी दल सवाल उठा रहे हैं कि वाममोर्चा सरकार ने 34 वर्षो में दो लाख करोड़ रुपये ऋण लिया था तो ममता सरकार ने तो मात्र साढ़े चार वर्ष में ही एक लाख करोड़ रुपये का ऋण क्यों लिया? तृणमूल सरकार भी शायद नहीं जानती कि वह जो विकास का दावा कर रही है और दोनों हाथों से रुपये बांट रही है उसका नतीजा आने वाले वर्षो में क्या होगा? आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए किसी भी सरकार के लिए जरूरी होता है कि वह राजस्व उगाही बढ़ाने के साथ-साथ खर्च में कटौती करे, लेकिन बंगाल में उल्टी गंगा बह रही है। राजस्व उगाही उचित अनुपात नहीं बढ़ी, पर खर्च लगातार बढ़ते गए। ऐसी स्थिति में ऋण का बोझ बढ़ना लाजिमी है। ममता सरकार ने 25 जनवरी को 1500 करोड़ रुपये का ऋण लिया है। 20 मई 2011 को मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद ममता बनर्जी की सरकार जनवरी 2016 तक बाजार से 1,00,046 करोड़ रुपये का ऋण ले चुकी है। ममता बनर्जी ने बुधवार को भी पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार को कोसते हुए कहा कि वामशासन में लिए गए ऋण का ब्याज भुगतान करने में ही पूरा राजस्व चला जा रहा है। यदि बंगाल पर कुल ऋण का जोड़ किया जाए तो राशि तीन लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच चुकी है। ऐसे में आने वाले वर्षो में बंगाल की आर्थिक स्थिति और दयनीय होना तय है।
(स्थानीय संपादकीय, पश्चिम बंगाल)