जमीन खरीद पर नया नियम लागू, पहली जनवरी से दाखिल खारिज अनिवार्य
यह कदम न केवल राज्य के खजाने को 500 करोड़ रुपये लाने मे मदद करेगा, बल्कि जमीन खरीद पर धोखाधड़ी को भी रोका जा सकेगा।
कोलकाता, [जागरण संवाददाता]। पश्चिम बंगाल सरकार राज्य में जमीन खरीद पर एक जनवरी से नया नियम लागू करने जा रही है जिसके तहत जमीन के पंजीकरण करने पर दाखिल खारिज (उत्परिवर्तन) शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा। इस नियम से राज्य सरकार को सालाना राजस्व मे 500 करोड़ रुपये आय की उम्मीद है।
दरअसल, अब तक जो नियम था उसके अनुसार जमीन की खरीददारी और दाखिल खारिज दो अलग-अलग प्रक्रिया थी। अब तक जमीन उस व्यक्ति से खरीदी जा सकती थी जिसके नाम से जमीन की दलील थी लेकिन अक्सर लोग जमीन खरीद के बाद इसका दाखिल खारिज नही करवाते थे क्योकि यह वैकल्पिक था।
एक विभागीय अधिकारी ने बताया कि जमीन खरीदने वाले लोगों की बड़ी संख्या ऐसी है जो दाखिल खारिज की प्रक्रिया से बचते रहते है क्योंकि इसमें अतिरिक्त शुल्क के भुगतान की आवश्यकता होती है। लेकिन इस प्रक्रिया को लागू करने से आगे से लोगों को अपनी जमीन फिर से बेचने या इसे अन्य प्रयोजनो के लिए इस्तेमाल करने मे कोई परेशानी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि एक बार यह प्रक्रिया अनिवार्य हो जाने पर स्वचालित उत्परिवर्तन नामक एक प्रणाली के तहत किसी भी व्यक्ति को पंजीकरण के समय शुल्क का भुगतान करना होगा।
सूत्रों ने बताया कि इसके तहत संबंधित विभाग रिकॉर्ड को अपडेट करेगा और उत्परिवर्तन प्रमाणपत्र 48 घटे के भीतर जारी किया जाएगा। एक विभागीय सूत्र ने बताया कि राज्य के सभी 341 ब्लॉको में अधिकारों के अभिलेख (सामान्य भाषा मे पारचा) को डिजीटल कर दिया गया है। डिजिटल भूमि अभिलेख अब पंजीकरण कार्यालयों से जुड़ा होगा, जो विला विभाग के तहत काम करते है। इस तरह आगे से लैंड विभाग को ऑनलाइन सूचना मिलेगी और दाखिल खारिज प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।
अधिकारियों के अनुसार, यह कदम न केवल राज्य के खजाने को 500 करोड़ रुपये लाने मे मदद करेगा, बल्कि जमीन खरीद पर धोखाधड़ी को भी रोका जा सकेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस साल के शुरू में, राज्य सरकार ने अधिक राजस्व प्राप्त करने के प्रयास मे लगभग 100 फीसद उत्परिवर्तन शुल्क बढ़ाया था लेकिन वृद्धि के बाद ऐसा देखा गाय कि बहुत कम लोगो ने दाखिल खारिज करवाया है जिस कारण इसे अगले साल से अनिवार्य किया जा रहा है। दाखिल खारिज शुल्क के बारे मे बताया गया है कि यह ग्रामीण इलाकों के मुकाबले केएमडीए के तहत आने वाले क्षेत्रो मे अधिक होगा।