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कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दार्जिलिंग से केंद्रीय सेना को हटाने पर लगाई रोक

केंद्र ने दार्जिलिंग में कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए वहां अ‌र्द्धसैनिक बल के 800 जवानों की तैनाती बनाए रखने का फैसला किया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 17 Oct 2017 03:58 PM (IST)Updated: Tue, 17 Oct 2017 04:22 PM (IST)
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दार्जिलिंग से केंद्रीय सेना को हटाने पर लगाई रोक
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दार्जिलिंग से केंद्रीय सेना को हटाने पर लगाई रोक

कोलकाता, [जेएनएन]। कलकत्ता हाईकोर्ट ने हिंसाग्रस्त दार्जिलिंग से केंद्रीय सुरक्षा बलों को वापस बुलाने के केंद्र के फैसले पर आज रोक लगा दी है।

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इस मामले में अब केंद्र सरकार 23 अक्टूबर को और पश्चिम बंगाल सरकार 26 अक्टूबर को हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करेगी, जिसके बाद हाईकोर्ट 27 अक्टूबर को सुनवाई करेगा।

पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने मंगलवार को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर केंद्र के फैसले का विरोध किया था।

इससे पहले केंद्र के फैसले पर भड़की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को कड़े शब्दों में पत्र लिखा।

ममता सरकार के कड़े ऐतराज को देखते हुए केंद्र ने दार्जिलिंग में कानून व्यवस्था कायम रखने के लिए वहां अ‌र्द्धसैनिक बल के 800 जवानों की तैनाती बनाए रखने का फैसला किया है।

इस समय दार्जिलिंग में अ‌र्द्धसैनिक बल की 15 कंपनियां तैनात हैं। केंद्र त्योहारी मौसम को देखते हुए अन्य जगहों पर तैनाती के लिए उनमें से 10 कंपनियों को हटाना चाहता है लेकिन पहाड़ के हालात की नए सिरे से समीक्षा करने के बाद केंद्र ने वहां से सिर्फ सात कंपनियों को ही हटाने का निर्णय किया है जबकि आठ कंपनियां वहां फिलहाल तैनात रहेंगी। एक कंपनी में 100 जवान शामिल होते हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक त्योहारी मौसम में अन्य राज्यों से भी केंद्रीय बलों की मांग की जा रही है। इसके अलावा गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव भी होने वाले हैं। ऐसे में सिर्फ दार्जिलिंग के लिए केंद्रीय बलों को स्थानीय पुलिस में परिवर्तित नहीं किया जा सकता।

गौरतलब है कि रविवार को गृह मंत्रालय ने दार्जिलिंग से 1000 जवानों को हटाने का आदेश दिया था, जिनमें 300 महिलाएं भी शामिल थीं। राज्य सरकार ने इसका विरोध करते हुए गृह मंत्रालय को पत्र लिखा था। उसी के परिप्रेक्ष्य में केंद्र ने यह फैसला किया है।


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