सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर का निधन
जागरण संवाददाता, कोलकाता : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर का लंबी बीमारी के बाद
जागरण संवाददाता, कोलकाता : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर का लंबी बीमारी के बाद रविवार को महानगर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। 68 वर्षीय कबीर गुर्दे की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। गत 8 फरवरी को उन्हें अपोलो ग्लेनीग्लेस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां रविवार अपरान्ह 2.52 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। सुप्रीम कोर्ट के 39वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल 29 सिंतबर, 2012 से 19 जुलाई, 2013 तक रहा था। अस्पताल की ओर से प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कबीर के निधन की पुष्टि की गई। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक पिछले दो वर्षों के दौरान वे कई बार अस्पताल में भर्ती हुए थे।
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एक नजर में अल्तमस कबीर का जीवन
कबीर का जन्म 19 जुलाई, 1948 को कोलकाता में एक प्रतिष्ठित मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके परिवार का फरीदपुर से ताल्लुक है, जो वर्तमान में बाग्लादेश में है। उनके पिता जहांगीर कबीर काग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। वे ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष भी रहे। कलकत्ता विश्वविद्यालय से एमए और एलएलबी की डिग्री प्राप्त कबीर 1 अगस्त, 1973 को बार काउंसिल के सदस्य बने। 6 अगस्त, 1990 को उन्हें कलकत्ता हाईकोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 11 जनवरी 2005 को वे हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बने। इसके बाद 1 मार्च, 2005 को उन्हें झारखंड हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। 9 सितंबर, 2005 को वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बनाए गए। उनके परिवार में पत्नी, बेटी व बेटा है। उनकी बहन लैला कबीर की शादी पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज से हुई थी।
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कबीर द्वारा सुनाए गए महत्वपूर्ण फैसले
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर कबीर ने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए, जिनमें अधिकतर मानवाधिकार एवं चुनाव संबंधी नियमों से संबंधित थे। वर्ष 2011 में संध्या मनोज वानखेड़े मामले में न्यायमूर्ति कबीर एवं न्यायाधीश सी जोसेफ की खंडपीठ ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा था कि पति की महिला रिश्तेदारों के खिलाफ भी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। उन्होंने जाने-माने अधिवक्ता एवं टीम अन्ना के सदस्य रहे प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले की भी सुनवाई की थी। प्रशांत भूषण ने आरोप लगाते हुए कहा था कि भारत के पिछले 16 मुख्य न्यायाधीशों में से आधे भ्रष्ट रहे हैं। 19 अक्टूबर, 2012 को उनका पत्रकार सैयद मोहम्मद अहमद काजमी को जमानत देने का फैसला भी काफी सुर्खियों में रहा था। काजमी इजरायली दूतावास के वाहन में विस्फोट मामले के आरोपी थे, जिसमें एक इजरायली राजनयिक की पत्नी जख्मी हो गई थी। कबीर के कई फैसले विवादों में भी रहे हैं। 18 जुलाई, 2013 को अपनी सेवानिवृत्ति वाले दिन ही कबीर ने मेडिकल कालेज में प्रवेश के लिए निट को रद कर दिया था। इस आदेश को हालांकि सुप्रीम कोर्ट की सांविधानिक पीठ ने निरस्त कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के कालेजियम ने कबीर द्वारा सेवानिवृत्त होने से पहले सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त करने को उठाए गए कदम पर भी रोक लगा दी थी।
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अल्तमस कबीर के ममता ने जताया शोक
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा-'मेरी संवेदनाएं उनके परिवार/साथियों के साथ हैं। भारत तथा बंगाल ने एक कानूनी प्रकाशपुंज को खो दिया।