परिवहन निगमों के विलय की प्रक्रिया शुरू
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : भारी घाटा व सरकारी खजाने पर बढ़ रहे वित्तीय बोझ को देखते हुए राज्य सरकार
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : भारी घाटा व सरकारी खजाने पर बढ़ रहे वित्तीय बोझ को देखते हुए राज्य सरकार ने अपने तीनों परिवहन निगमों को पुर्नजीवित करने के लिए इसके आपस में विलय करने का हाल में फैसला किया है। परिवहन विभाग के सूत्रों ने कहा कि कलकत्ता राज्य परिवहन निगम (सीएसटीसी), कलकत्ता ट्रामवेज कंपनी (सीटीसी) और पश्चिम बंगाल भूतल परिवहन निगम (डब्ल्यूबीएसटीसी) अभी जांच के दायरे में हैं। वहीं, तीनों निगमों के विलय को लेकर हाल में परिवहन सचिव अलापन बंद्योपाध्याय की अगुवाई में गठित विशेषज्ञ समिति ने कानूनी बाधाओं को दूर करने सहित तमाम मुद्दों के हल का प्रयास शुरू कर दिया है। जानकारी के अनुसार, इसके लिए समिति एक प्रतिष्ठित कानूनी फर्म के साथ विचार-विमर्श करना शुरू कर दिया है। उल्लेखनीय है कि राज्य के तीन प्रमुख परिवहन निगमों में सीटीसी सबसे पुराना है। 1873 ई में कोलकाता में सर्वप्रथम सीटीसी ने ट्राम सेवाएं शुरू की थी। वहीं, तीनों परिवहन कंपनियों की बात की जाए तो फिलहाल इनके कुल 13,400 कर्मचारी हैं। तीनों के पास इस समय कुल मिलाकर 1591 बस, 270 ट्राम व 20 पानी जहाजों का बेड़ा है। इसके साथ इन परिवहन निगमों के पास कोलकाता सहित विभिन्न जिलों में भारी अचल संपत्ति है। सूत्रों ने बताया कि, तीनों संगठनों की दयनीय स्थिति के पीछे की वजह खराब रखरखाव व वाहनों का दुरूपयोग है। इसके कारण दशकों से सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ रहा है।
जानकारों का कहना है कि अपने 34 के शासन के दौरान पिछली वाममोर्चा सरकार ने इन तीनों निगमों का उपयोग अपने कार्यकर्ताओं व समर्थकों के फायदे के लिए किया। लेकिन, काफी अरसे बाद ममता बनर्जी सरकार को यह अहसास हुआ है कि राजनीतिक लाभ के लिए इन उपक्रमों को दुहना बुरा स्वप्न है। हालांकि राज्य की दो अन्य परिवहन कंपनियों उत्तर बंगाल राज्य राज्य परिवहन निगम (एनबीएसटीसी) व दक्षिण बंगाल राज्य परिवहन निगम (एसबीएसटीसी) को इस विलय से अलग रखा गया है।