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दीदी का दावा, बंगाल हुआ मालामाल

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पश्चिम बंगाल को दो दिनी 'बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट 2015' में कुल 2.43 लाख करोड़

By Edited By: Published: Fri, 09 Jan 2015 06:58 AM (IST)Updated: Fri, 09 Jan 2015 06:25 AM (IST)
दीदी का दावा, बंगाल हुआ मालामाल

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। पश्चिम बंगाल को दो दिनी 'बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट 2015' में कुल 2.43 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को समिट के समापन पर यह दावा किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, खनन, इस्पात, बंदरगाह, शहरी आधारभूत संरचना, खाद्य प्रसंस्करण, बिजली, वित्ताीय सेवा, एमएसएमइ, पर्यटन, होटल समेत विभिन्न क्षेत्रों में निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इनपर काम शुरू होने से एक करोड़ लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। सभी औद्योगिक परियोजनाओं के पूरे होने पर निवेश का परिमाण 3 लाख करोड़ रुपये को पार कर जाएगा।

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मुख्यमंत्री ने यह भी साफ किया कि वे दस्तावेजों के आधार पर ये सारी बातें कह रही हैं। समिट की सफलता से उत्साहित ममता ने अगला समिट 8-9 जनवरी, 2016 को आयोजित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की इकाइयों समेत केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय ने भी राज्य में निवेश के लिए कदम बढ़ाया है। सेल और केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय ने कई परियोजनाओं में क्रमश: 30,000 करोड़ और 41,600 करोड़ के निवेश की पेशकश की है। एनटीपीसी ने 20,000 करोड़ के निवेश का प्रस्ताव दिया है। निजी क्षेत्र के एस्सेल समूह ने भी 15,000 करोड़ के निवेश की इच्छा जताई है। सिंगापुर के सबरंग समूह ने 1,000 करोड़ के निवेश का वादा किया है। सिंगापुर की एक अन्य कंपनी ने 2,500 करोड़ के निवेश की पेशकश की है। वाइ के मोदी ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 1,500 करोड़, फोरम समूह ने 4,000 करोड़ और मनी समूह ने 2,500 करोड़ रुपया निवेश की पेशकश की है।

ममता ने निवेशकों को आश्वस्त करते हुए कहा कि बंगाल में पर्याप्त आधारभूत सुविधाएं मौजूद हैं। उद्योगपतियों को यहां अपना व्यवसाय बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। बंगाल में विनिर्माण क्षेत्र प्राथमिकता में है। इसके विकास के लिए सरकार हर संभव कदम उठाएगी। समापन समारोह में भावुक हो गईं मुख्यमंत्री ने कहा कि बंगाल की देश के किसी भी अन्य राज्य से तुलना नहीं हो सकती क्योंकि इसे विरासत में ऋण का बोझ मिला है। सत्ता में आने के बाद हमने जाना कि हमें किसी तरह की आर्थिक आजादी नहीं है। हम जो भी कमाते हैं, वो कर्ज चुकाने में चला जाता है। फिर भी पिछले तीन वर्षों में हम आगे बढ़े हैं। अगर कर्ज के बोझ को छोड़ दें तो बंगाल प्रदर्शन के मामले में देश ही नहीं, पूरी दुनिया में पहले स्थान पर है। दूसरी ओर विपक्षी दल माकपा व भाजपा ने सवाल उठाया कि प्रस्ताव मिलने और उनके क्रियान्वित होने में बहुत बड़ा फर्क है। माकपा नेता सूर्यकांत मिश्रा ने कहा कि जो भी प्रस्ताव मिले हैं, उनमें से ज्यादातर वाममोर्चा के कार्यकाल के हैं। वहीं भाजपा के बंगाल प्रभारी सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि निवेश प्रस्तावों में से 78700 करोड़ तो अकेले केंद्र से मिले हैं।

जमीन की समस्या नहीं, एक सेकेंड में 4,000 एकड़ जमीन हुई आवंटित

मुख्यमंत्री ने फिर कहा कि उद्योग के लिए जमीन को लेकर कोई समस्या नहीं होगी। कुल्टी में एक सेकेंड में 4,000 एकड़ जमीन आवंटित की गई थी। गोआलतोड़ में 1,000 एकड़ से अधिक जमीन उपलब्ध है। पीपीपी माडल पर विभिन्न परियोजनाएं चल रही हैं। राज्य में आठ विश्वविद्यालयों और 45 कालेजों का निर्माण किया जाएगा। जंगलमहल में 500 मेगावाट की बिजली परियोजना शुरू होगी। गोवा की तर्ज पर बंगाल में समुद्र तट को विकसित किया जा रहा है।

अतीत के लिए ममता ने मांगी माफी

कोलकाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वाममोर्चा के शासनकाल में राज्य में वित्ताीय कुप्रबंधन के लिए उद्योगपतियों से माफी मांगी। समिट के दूसरे व अंतिम दिन समापन भाषण में उन्होंने उद्योगपतियों से राज्य में निवेश का आग्रह करते हुए कहा-अतीत की ओर मत देखिए। वह बीत चुका है। हमें उसका दुख है और मैं उसके लिए माफी मांगती हूं। जो भी हुआ, अच्छा नहीं हुआ। आज की सोचिए और कल के लिए काम कीजिए। इसके बाद सवाल उठने लगे कि क्या ममता ने सिंगुर को लेकर माफी मांगी है? हालांकि, बाद में मीडिया से बातचीत में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने राज्य की सत्ता पर दशकों तक रही वाममोर्चा सरकार के दौरान हुए वित्ताीय कुप्रबंधन के लिए माफी मांगी है। उस दौर में वित्ताीय अनुशासनहीनता थी और कोई कार्य योजना नहीं थी, जिसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है। भारी वित्ताीय बोझ के कारण राज्य सरकार उद्योगीकरण में परेशानी महसूस कर रही है।


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