टेबल पर हो सकता है हर संकट का हल: केसरीनाथ
कोलकाता [कृष्णचंद्र द्विवेदी]। पश्चिम बंगाल के मनोनीत राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने कहा है लोकतांत्रिक व्यवस्था में परस्पर बातचीत के जरिए सारी समस्या का हल और संकट का समाधान हो सकता है। टकराव के जरिए समस्याएं और संकट गहन ही होते हैं।
अगले हफ्ते कोलकाता राजभवन में राज्यपाल पद की गोपनीयता की शपथ लेने जा रहे केसरीनाथ त्रिपाठी ने फोन पर हुई बातचीत में उन आशंकाओं को खारिज किया कि प्रदेश भाजपा के आक्रामक रुख के कारण राज्य सरकार और राजभवन में टकराव के आसार पैदा हो सकते हैं।
हाल के दिनों में राजभवन को भेजी जाती रही भाजपा की हिंसा की शिकायतों के मद्देनजर उनका क्या रुख होगा, यह पूछे जाने पर त्रिपाठी ने कहा हर समस्या का समाधान बातचीत के जरिये ही हो सकता है और कोई दूसरा रास्ता नहीं।
आगामी 24 तारीख को राज्यपाल पद व गोपनीयता की शपथ ले रहे त्रिपाठी जहां सहृदय कवि और लेखक हैं वहीं वे संवैधानिक कानून जैसे शुष्क विषय में भी असाधारण गति रखते हैं। अपने लम्बे राजनीतिक व कानूनी कैरियर में अब तक कोलकाता सिर्फ दो बार आए त्रिपाठी यहां की जटिल ट्रैफिक से काफी चिंतित है। इसे दुरुस्त करना उनकी प्राथमिकताओं में होगा। कोलकाता के बेहतर ट्रैफिक आर्डर के लिए वे सभी पक्षों से वार्ता करेंगे और सबका सहयोग मांगेगे। 24 को शपथ लेने के बाद वे 25 को अपने गृहराज्य जाएंगे फिर दो-तीन दिन बाद लौट कर राजभवन का कार्यभार संभालेंगे।
उत्तार प्रदेश विधानसभा के पूर्व स्पीकर केसरीनाथ त्रिपाठी पहली बार कोलकाता 1999 में आए थे, मौका था बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय की ओर से उत्तार प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और महानगर के शलाखापुरुष आचार्य विष्णुकांत शास्त्री की कविताओं के संकलन 'जीवन पथ पर चलते चलते' के लोकार्पण का। इसके बाद दूसरी बार 2008 में आए, शास्त्रीजी तब स्मृति शेष हो चुके थे और उन्हें उनकी स्मृति में व्याख्यानमाला को संबोधित करना था। इस बार भी आयोजक कुमारसभा पुस्तकालय ही था। साहित्यप्रेमी त्रिपाठी पुस्तकालय की यहां की पुस्तकों की समृद्ध विरासत के कायल रहे हैं।
यह भी एक एक सुखद संयोग ही कहा जाएगा कि कोलकाता के साहित्यानुरागी विष्णुकांत शास्त्रीजी उत्तार प्रदेश के राज्यपाल बने और सिर्फ शास्त्रीजी के लिए ही दो बार कोलकाता आए त्रिपाठी भी बंगाल के राज्यपाल बन गए।