ममता ने खड़ा कर दिया है संवैधानिक संकट: सोमनाथ
राज्य ब्यूरो, कोलकाता: लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने मंगलवार को कहा कि राज्य में पदस्थ अधिकारियों का तबादला करने के मुद्दे पर चुनाव आयोग को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से दी गई चुनौती ने एक 'संवैधानिक संकट' खड़ा कर दिया है और एक गलत उदाहरण पेश किया है।
उन्होंने कहा कि संविधान में कहा गया है कि एक बार चुनाव की घोषणा हो जाने के बाद चुनाव आयोग को यह अधिकार है कि यदि वह उचित समझे तो अधिकारियों का तबादला कर सकता है। अब मुख्यमंत्री कुछ अलग ही बात कह रही हैं। इससे संवैधानिक संकट पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि इससे एक गलत उदाहरण भी पेश हुआ है जिसका तत्काल समाधान निकाला जाना चाहिए। चुनाव आयोग ने सोमवार को पाच पुलिस अधीक्षकों और एक डीएम को चुनाव ड्यूटी से हटा दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उसका जोरदार शब्दों में विरोध किया था। चुनाव आयोग के इस आदेश से बिफरी ममता ने कहा था कि किसी भी अधिकारी को तब तक हटाया नहीं जाएगा जब तक वह मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हैं। उन्होंने चुनाव आयोग को चुनौती देते हुए कहा था कि वह उनके खिलाफ कार्रवाई करे और इसके लिए वे गिरफ्तार होने और जेल जाने तक को तैयार हैं।
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क्या कहता है कानून
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को देश के संसदीय, विधानसभा और अन्य चुनावों के पर्यवेक्षक के तौर पर ताकत, निर्देशन और चुनावों की तैयारियों पर नियंत्रण और निर्वाचन सूची के निर्माण संबंधी अधिकार देता है। जनप्रतिनिधत्व कानून की धारा 28 के तहत चुनाव आयोग के आदेश पर राष्ट्रपति, राज्य के राज्यपाल को भी आयोग की सेवा के लिए हाजिर होना होगा। जब भी जरूरत होगी इन्हें,आयोग या उसके क्षेत्रीय आयुक्त समेत किसी भी स्टाफ के समक्ष हाजिर होना होगा। आयोग राज्य या केंद्र सरकार के कर्मचारियों को रिटर्निंग ऑफिसर, असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर, पीठासीन अधिकारी या पोलिंग ऑफिसर नियुक्त कर सकता है। किसी भी चुनाव में आयोग विशेष समय के लिए राज्य के अधिकारियों की नियुक्ति कर सकता है। आयोग के आदेशानुसार राज्य सरकारें अपनी अधिकारियों के तैनाती करती है। इस दौरान चुनाव कार्य से जुड़े सभी अधिकारी आयोग के आदेशानुसार काम करते हैं न कि राज्य या केंद्र सरकार के विभागों के तहत।
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