आइआइटी में जीएसआइ की वार्षिक सभा 21 से
संवाद सहयोगी, खड़गपुर : पश्चिम मेदिनीपुर जिले के खड़गपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के भू
संवाद सहयोगी, खड़गपुर : पश्चिम मेदिनीपुर जिले के खड़गपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के भू-विज्ञान व भू-भौतिकी विभाग के तत्वावधान में 21 अक्टूबर को जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की तीन दिवसीय वार्षिक सभा का आयोजन किया गया है। इस दौरान भू-विज्ञान के क्षेत्र में विगत दशकों में हुए विकास, भविष्य की उभरती हुई प्रवृत्तियों व इसका समाज पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा की जाएगी।
संस्थान के भू-विज्ञान व भू-भौतिकी विभाग के प्रमुख प्रो. अनिद्य सरकार ने इस बैठक के संबंध में बताया कि मानव जाति के साथ-साथ सभी प्रकार के जीवन के विकास व उनका अस्तित्व पृथ्वी और उसके पड़ोस पर निर्भर करता है। इसलिए पृथ्वी के भीतरी क्षेत्र में होने वाली प्रक्रियाओं, क्रस्टल तरल पदार्थ, प्लेट्स में होने वाली हलचल, तनाव व तरल पदार्थ प्रवास, खनिज, अयस्क भंडार का निर्माण, बेसिन का निर्माण, नदी की गतिशीलता, पानी की गुणवत्ता, प्राकृतिक खतरों, इंजीनिय¨रग के विकास भू-विज्ञान और बुनियादी ढांचे के विकास, जीवाश्म ईंधन के शोषण, जलवायु संरक्षण और गैर-पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों आदि के उपयोग में अपनी भूमिका को समझ कर ही हम भू-विज्ञान के विभिन्न पहलुओं को आसानी से समझ सकते हैं। स्वतंत्र भारत में पहले से ही भू-वैज्ञानिकों की तीन पीढि़यों को देखा गया। जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि 1.25 अरब लोगों की एक बड़ी आबादी के साथ भारत में भू-विज्ञान के क्षेत्र में कई चुनौतियां भी हैं। उनका समाधान करते हुए वैज्ञानिकों को अपने नागरिकों के लिए बेहतर गुणवत्ता वाला जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है। अब सब की नजर भू वैज्ञानिकों की अगली पीढ़ी पर है। लोग उनसे आने वाले दशकों में भारत को आगे ले जाने की उम्मीद कर रहे हैं। इस संगोष्ठी के दौरान विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए भू वैज्ञानिकों को एक साथ बड़ी संख्या में आमंत्रित किया गया है। भू वैज्ञानिक पृथ्वी की प्रक्रियाओं, सतत उपयोग के लिए भारतीय समाज के लिए भूजल अध्ययन का योगदान, मानचित्रण और मॉड¨लग में आधुनिक उपकरण, बनावट विश्लेषण और टेक्टोनिक्स तथा नॉन-टेक्टोनिक्स और समाज पर इसके प्रभाव, इंजीनिय¨रग भू-विज्ञान, सतत विकास के लिए प्राचीन जीवन गतिशीलता : भविष्य की प्रवृत्तियों और संरक्षण, भूकंपी खतरा, उथली सतह की भू-भौतिकीय जांच व खनिज अन्वेषण, जलवायु परिवर्तन तथा ग्रीन एनर्जी जैसे अन्य मुद्दों पर चर्चा करेंगे।