भारी पड़ता मुश्किल लक्ष्य का मायाजाल
खड़गपुर : पूर्व मेदिनीपुर जिले के राजनीतिक हलकों में टीएमसी को मिली अप्रत्याशित सफलता दलीय
खड़गपुर : पूर्व मेदिनीपुर जिले के राजनीतिक हलकों में टीएमसी को मिली अप्रत्याशित सफलता दलीय नेताओं की फांस बनती जा रही है। नेतृत्व के जिले की सारी 16 सीटें जीतने के निर्धारित लक्ष्य ने स्थानीय नेताओं को मुश्किल में डाल रखा है। दलीय नेता इस जटिल परिस्थिति से खुद को निकालने में जुटे हुए हैं।
बताते चलें कि 2011 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्व मेदिनीपुर जिले की सभी 16 सीटें टीएमसी की झोली में गई थीं। इसके बाद स्वाभाविक रूप से सांसद पिता-पुत्र शिशिर और शुभेंदु अधिकारी का कद पार्टी के भीतर बढ़ा। हालांकि प्रतिक्रिया के तौर पर संगठन में कलह और गुटबाजी भी बढ़ने लगी, जिससे हाईकमान परेशान हो उठा। समझा जाता है कि कलह के चलते ही टीएमसी नेतृत्व ने जिले के दो विधायक सोमेन महापात्र और शिउली साहा को इस बार पूर्व के बजाय पश्चिम मेदिनीपुर जिले के ¨पगला और केशपुर से टिकट दिया। इसके बावजूद रामनगर के विधायक अखिल गिरि समेत कई ऐसे नेता हैं जो अधिकारी पिता-पुत्र को चुनौतियां देते रहे हैं।
दूसरी ओर नंदीग्राम कांड की आंच धीमी पड़ने समेत सत्ता विरोधी लहर के चलते भी जिले की राजनीतिक परिस्थितियां इस बार पूरी तरह से टीएमसी के अनुकूल नहीं मानी जा रही। इसके बावजूद टीएमसी नेतृत्व जिले की सभी 16 सीटें जीतने का लक्ष्य नेतृत्व को दिया है। मंगलवार को चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में पूर्व मेदिनीपुर पहुंचे टीएमसी के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने भी यही संकेत दिए कि संगठन यहां शत प्रतिशत सफलता की उम्मीद रख रहा है। ऐसे नेताओं में मुकुल राय और सुदीप बंद्योपाध्याय आदि शामिल रहे। इससे जिले के दलीय नेता काफी दबाव में दिख रहे हैं। हालांकि सांसद सह टीएमसी जिलाध्यक्ष शिशिर अधिकारी ने नेतृत्व की अपेक्षाओं को सही ठहराते हुए जिले की सारी सीटें जीतने का दावा किया।