Move to Jagran APP

विमला आवास कांड: मानस के बैग में मिले कई सबूत

जागरण संवाददाता, जलपाईगुड़ी: विमला आवास कांड में मानस भौमिक के बैग से सीआईडी को कई आवश्यक तथ्य मिले ह

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Feb 2017 04:55 PM (IST)Updated: Sat, 25 Feb 2017 04:55 PM (IST)
विमला आवास कांड: मानस के बैग में मिले कई सबूत
विमला आवास कांड: मानस के बैग में मिले कई सबूत

जागरण संवाददाता, जलपाईगुड़ी: विमला आवास कांड में मानस भौमिक के बैग से सीआईडी को कई आवश्यक तथ्य मिले हैं। साथ ही गैरकानूनी तरीके से बच्चों को बिक्री करने वाले 17 फाइलें भी जब्त हुई है। प्राप्त तथ्य व कागजात मानस भौमिक के लिए मुसीबत ला सकती है। सीआईडी की टीम ने मानस की मां व भाभी से भी पूछताछ की है। जिसमें पता चला कि पहले किसी तालाब में बैग को छिपा कर रखा गया था। बाद में पकड़े जाने के डर से मां व भाभी ने कागजातों को जला देने की कोशिश की। सीआईडी सूत्रों की माने तो मानस भूमि व भूमि राजस्व में कार्यरत होने के बाद भी विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों में संचालक की भूमिका निभाता था। इस क्रम में गत 24 फरवरी को जलपेश मेले के उद्घाटन समारोह व अन्य दूसरे कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए 23 फरवरी को हल्दीबाड़ी से जलपाईगुड़ी अपने घर पहुंचा हुआ था। इस दौरान वह आवास मामले से जुड़े तथ्यों को अपने साथ ले जाने वाला था। लेकिन कुछ देर बाद ही पुलिस व सीआईडी की टीम ने मानस को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान मानस ने बताया कि वह बच्चे को गोद दिलवाने के लिए नि:संतान दंपति के घरों में जाया करता था। कार्य में किसी तरह की समस्या न हो, इसलिये वह समाजसेवी कार्यो से भी जुड़ा रहता था। मानस अपने दीदी अथवा चंदना का अलग-अलग जिले की जानकारी दिया करता था। गैरकानूनी तरीके से बच्चा गोद दिलाने, शिशु तस्करी की साजिश व सबूत नष्ट करने के आरोप में मानस भौमिक के खिलाफ भारतीय संविधान के 370(5), 468, 420, 120 बी, 34, 201 व जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 75, 76, 80 एवं 88 धारा के तहत मामला दर्ज किया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.