बोल बम का नारा है बाबा एक सहारा
मयनागुड़ी, संवादसूत्र : वैसे तो हिन्दुओं के तीज त्योहार हर दस पंद्रह दिन में होते हैं। मगर हिन्दुओं में सावन माह की महिमा विशेष रूप से होती है। इस माह में भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है। माना जाता है कि त्रिनेत्र वाले भोले नाथ को औघड़दानी भी कहा जाता है। कहते हैं कि जिस पर बाबा की दया हो जाती है उसका जीवन सफल हो जाता है। इसी विश्वास व श्रद्धा के चलते देश के विभिन्न स्थानों पर स्थित ज्योर्तिलिंग में भी सावन माह में जलाभिषेक करने व पूजा करने वाले शिवभक्तों की तादाद बढ़ जाती है। इसी क्रम में उत्तर बंगाल में जलपाईगुड़ी जिले में स्थित जलपेश भी काफी महत्वपूर्ण शिवजी का स्थान माना जाता है। सावन के प्रथम सोमवार को शिवजी का जलाभिषेक करने वाले भक्त अपने अपने घरों से एक या दो दिन पहले ही प्रस्थान कर चुके हैं। पैदल गेरूआ वस्त्र में जा रहे कांवरिये बोल बम का नारा है बाबा एक सहारा है का उद्घोष करते हुए ं शिवभक्त जलाभिषेक के लिए जलपेश मंदिर पहुंच रहे हैं। विदित हो कि जलपाईगुड़ी जिले के मयनागुड़ी स्थित जलपेश मंदिर में श्रावण में विशाल मेला लगता है। भक्तजन मंदिर से 13 किमी दूर तीस्ता नदी से कांवर में पानी भरकर मंदिर में महादेव को जलार्घ्य अर्पित करते हैं। इस उपलक्ष्य में तीस्ता घाट पर दुकानें भी सज गई हैं। जलपेश मंदिर कमेटी के सचिव गिरीन देव ने रविवार को बताया कि इस बार भक्तों को शिवलिंग को स्पर्श करने की अनुमति नहीं होगी। लोहे के ग्रिल से घिरे शिवलिंग पर भक्तों को बाहर से ही जलाभिषेक करना होगा। श्रावणी मेला के अवसर पर प्रशासन की ओर से हर बार की तरह इस बार भी सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है। मयनागुड़ी थाना के आइसी विश्वनाथ हालदार ने बताया कि तीस्ता घाट और शिव मंदिर के परिसर में पुलिस बल के सिपाही तैनात रहेंगे। इसके अलावा मंदिर परिसर के छह स्थान पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं ताकि शरारती तत्वों पर कड़ी निगहबानी की जा सके। यह ऐतिहासिक श्रावणी मेला आगामी 17 अगस्त तक चलेगा। ज्ञात हो कि जलपेश मंदिर का निर्माण कूचबिहार के एक महाराजा ने करवाया था। मंदिर में जलाभिषेक के लिए दूर दराज से भक्तजन आते हैं।
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